विदिशा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गढ़ है। राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए यह उनके परिवार ने इसे अपना ‘घर’ ही कहा है। वहां तीन इंजन की सरकार है। मतलब सांसद बीजेपी से, विधायक बीजेपी से और नगर पालिका बीजेपी की। तीन इंजन की सरकार में सत्ता का संघर्ष ऐसा कि 27 दिनों से पार्षद धरने पर थे। मांग पूरी होते न देख अंतत: कपड़े उतार कर अर्द्धनग्न हो गए। बीजेपी पार्षदों ने कपड़े उतारे तो बीजेपी विधायक मुकेश टंडन भागते-दौड़ते पहुंचे और नाराज पार्षदों को मनाने के जतन किए। बीजेपी विधायक इसलिए क्योंकि पार्षदों ने उन्हीं पर विकास कार्य रोकने के आरोप लगाए हैं। पार्षदों का कहना है कि उनके वार्डों में सड़क और अन्य निर्माण कार्यों के लिए जारी टेंडर विधायक की दखलंदाजी से रद्द कर दिए गए हैं।
आरोप है कि दो साल पहले तक नगर पालिका सुचारू रूप से चल रही थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने से व्यवस्था और विकास दोनों ठप पड़ गए हैं। दो साल पहले यानी मोहन सरकार के पहले तक। उसके बाद शिवराज सिंह चौहान सांसद बन गए और उनके प्रिय समर्थक मुकेश टंडन विधायक थे ही। पार्षदों ने विधायक मुकेश टंडन को ‘बाहुबली नेता’ बताते हुए विकास में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाया है। पार्षदों का आरोप है कि विधायक के दबाव में न तो प्रशासनिक अधिकारी उनसे मिल रहे हैं, न ही संगठन के जिम्मेदार समस्या का समाधान कर रहे हैं।
यह आश्चर्य का ही विषय है कि अपनी ही सरकारों के रहते बीजेपी के पार्षद 27 दिनों तक धरने पर बैठे रहे और उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। राजनीतिक जगत में यह चर्चा का विषय है कि क्यों कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ही अपने क्षेत्र इस तरह का राजनीतिक असंतोष पनपने दे रहे हैं। क्षेत्र में वर्चस्व की राजनीति का यह पहला अध्याय नहीं है। इससे पहले संघ से जुड़े वरिष्ठ वकील विमल तारण के साथ सरेराह मारपीट कर उसका वीडियो वायरल कर दिया गया था। वकील विमल तारण ने आरोप लगाया था कि वे विदिशा के विकास को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर लिख रहे थे इसकारण उन पर हमला करवाया गया। इस हमले को लेकर भी सांसद और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सवाल उठे थे।
मुद्दा यही है कि क्षेत्र में जारी राजनीतिक संघर्ष को शिवराज सिंह चौहान नजरअंदाज कर इसे होने देना चाहते हैं या उनका विरोधी खेमा बार-बार आपसी टकराव पैदा कर दिखाना चाहता है कि शिवराज के गढ़ में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। क्या इसके पीछे यह संदेश है कि प्रदेश के सत्ता सूत्र हाथ से जाते ही विदिशा में भी शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक पकड़ ढीली पड़ रही है?
तस्करों, अपराधियों से रिश्तेदारी तोड़ेंगे बीजेपी नेता
सतना पुलिस ने नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी के सगे भाई अनिल बागरी और उसके साथी को 46 किलो गांजा तस्करी करते हुए गिरफ्तार किया है। जांच में यह भी सामने आया है कि अनिल अपने जीजा शैलेंद्र सिंह के साथ मिलकर नशे का यह कारोबार चला रहा था। जीजा-साले दोनों ही अब सलाखों के पीछे हैं। भाई की गिरफ्तारी के बाद मंत्री ने आरोपी को भाई मानने से इंकार कर दिया है।
राज्यमंत्री के जीजा और भाई की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी तथा अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण पर हमलावर है। विपक्ष नैतिकता का हवाला देते हुए इस्तीफे की मांग कर रहा है तो स्वयं को आलोचनाओं से घिरता देख राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने अपने भाई को भाई मानने से इंकार कर दिया। मीडिया से चर्चा में प्रतिमा बागरी ने कहा कि क्षेत्र में सब दीदी कहतें हैं तो सभी भाई नहीं हो गए।
अपराधिक प्रवृत्ति के रिश्तेदारों से नाता तोड़ने का यह पहला मामला नहीं है। पूर्व गृहमंत्री और खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने भी पिछले दिनों रिश्तेदारों के अपराधों से खुद को दूर कर लिया था। उन्होंने वकील के जरिए घोषित किया था कि उनके परिवार में कितने सदस्य हैं। उन्होंने चेताया था कि घोषित सदस्यों के अलावा कौन रिश्तेदार क्या कर रहा है, इससे उनका संबंध नहीं है। ऐसे रिश्तेदारों के साथ पूर्व मंत्री का नाम जोड़ा गया तो वे कार्रवाई करेंगे।
बीजेपी के कई पदाधिकारियों के गंभीर अपराधों लिप्त होने के मामले सामने आ रहे हैं। बड़े नेता अक्सर ऐसे पदाधिकारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं। लेकिन अब तो बात रिश्तेदारों तक जा पहुंची है। नेताजी अब इनसे रिश्तेदारी तोड़ने में ही समझदारी समझ रहे हैं। आखिर पद बचाना जो जरूरी है। प्रभावशाली नेताओं द्वारा अपराधिक प्रवृत्ति के समर्थकों और रिश्तेदारों से दूरी का यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है।
प्रदेश अध्यक्ष ने बचा ली राज्यमंत्रियों की लाज
बीजेपी प्रदेश कार्यालय में मंत्रियों के बैठने की व्यवस्था आरंभ की गई है। तय कार्यक्रम के अनुसार एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री कार्यकर्ताओं और जनता की समस्या सुनने प्रतिदिन कार्यालय में बैठ रहे हैं। शुरुआत में दोनों मंत्रियों को एक ही कक्ष में बैठाया गया था। फिर दोनों के कक्ष अलग-अलग कर दिए गए। बताया गया कि एक कक्ष में भीड़ तथा अव्यवस्था को देखते हुए अलग-अलग कक्ष तय किए गए हैं।
लेकिन माजरा कुछ और ही था। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने राज्यमंत्रियों के आग्रह पर यह व्यवस्था बदली है। पता चला है कि अधिकारों तथा काम के लिए कैबिनेट मंत्रियों के साथ विषमता झेल रहे राज्यमंत्री बीजेपी कार्यालय में मुलाकात के दौरान भी भेदभाव महसूस कर रहे थे। उन्होंने देखा कि अधिकांश लोग और समर्थक कैबिनेट मंत्रियों से मिलने में ही रूचि दिखा रहे हैं। सारी भीड़ कैबिनेट मंत्री के पास है और राज्यमंत्री अलग-थलग बैठे रहते हैं। यह उनके लिए अपमानजनक स्थिति थी।
प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बात की गंभीरता को समझा तथा मंत्रियों के अलग-अलग कमरे में बैठने की व्यवस्था करवा दी। इससे राज्यमंत्री से मिलने भले कोई न आए लेकिन दो-चार समर्थकों के एकत्रित होने से राज्यमंत्री की लाज बची रह जाती है।
कार्यालय में बैठ याद आया गुजरा जमाना ...
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी है। बीजे दिनों पार्टी की नई व्यवस्था के तहत जब वे लोक निर्माण मंत्री के रूप में प्रदेश बीजेपी कार्यालय पहुंचे तो उन्हें गुजरा जमाना याद हो आया। मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में मंत्री राकेश सिंह ने रह-रह कर अपने कार्यकाल को याद कर रहे थे। वे बताते रहे कि उनकी कार्यकारिणी के सदस्य आगे चलकर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने।
राकेश सिंह की कार्यकारिणी के महामंत्री वर्तमान खजुराहो सांसद वीडी शर्मा को ही राकेश सिंह की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इसी तरह राकेश सिंह की कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। संदर्भ में कार्यकाल का उल्लेख करना सामान्य है लेकिन जब मंत्री राकेश सिंह बार-बार अपने अध्यक्षीय कार्यकाल को याद कर कर नास्टेल्जिक हो रहे थे। उनकी चर्चाओं में अतीत ज्यादा था और मोहन सरकार और अपने विभाग की वर्तमान की बातें कम। मंत्री राकेश सिंह को अपने अतीत में खोया देख श्रोता तलाशते रहे कि वे किस गम को छिपाते हुए मुस्कुराने का जतन कर रहे हैं।