मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रशांत किशोर कांग्रेस को जीत का फार्मूला नहीं बताएंगे। कांग्रेस ने मन बनाया था कि वह चुनावी रणनीति बनाने के लिए प्रशांत किशोर का साथ लेगी मगर पता चला है कि बात नहीं बनी है। इसका कारण प्रशांत किशोर की ऐसी मांगें हैं जो कांग्रेस शायद उनसे शेयर नहीं करना चाहती। प्रशांत किशोर चाहते थे कि कांग्रेस उन्‍हें सारे डेटा तथा सभी मांगी गई जानकारियां दे जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ केवल बाहरी सहयोग चाहते थे। वे पार्टी की अंदरूनी जानकारियों देने के पक्ष में नहीं थे। इसी कारण प्रशांत किशोर ने मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस का साथ देने से इंकार कर दिया है।

प्रशांत किशोर चुनावी रणनीति बनाने का जाना पहचाना नाम हैं। वे 2014 के लोकसभा चुनाव से चर्चा में आए थे। भाजपा के सरकार में आते ही तथा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्‍हें चुनावी मैनेजमेंट गुरू कहा जाने लगा। प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजद, जदयू और कांग्रेस महागठबंधन और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए प्रचार अभियान किया था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को प्रशांत किशोर जीत दिलाने में असफल रहे थे लेकिन वे पंजाब में कांग्रेस की जीत के शिल्‍पकार माने जाते हैं। वे दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अक्टूबर 2019 में प्रशांत किशोर को जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना कर पार्टी में नंबर दो पोजिशन दे दी थी। इसका पार्टी में विरोध भी हुआ था। मगर नीतिश कुमार ने यह कहते हुए बचाव किया था कि प्रशांत किशोर युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे। मगर छह माह पूरे भी नहीं हुए थे कि जदयू ने उन्‍हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण जनवरी में पार्टी से हटा दिया। फिर चर्चा चली थी कि प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ जा सकते हैं।

बिहार के घटनाक्रम से प्रशांत किशोर की रणनीति का पैटर्न उजागर हुआ। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि यही स्‍टाइल मध्‍य प्रदेश में कमलनाथ को रास नहीं आया। मध्‍य प्रदेश कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए प्रशांत किशोर का सहयोग लेने का निर्णय कर लिया था। यह निर्णय इतना पक्‍का था कि पूर्व मंत्री और भोपाल दक्षिण पश्चिम से विधायक पीसी शर्मा ने सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था कि कांग्रेस पार्टी प्रशांत किशोर की मदद लेगी। पार्टी सोशल मीडया एक्‍सपर्ट के रूप में प्रशांत किशोर की मदद लेना चाहती थी।

मगर मीडिया में आई खबरों के अनुसार प्रशांत किशोर ने मध्‍य प्रदेश कांग्रेस का यह प्रस्‍ताव स्‍वीकार नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि पूरा मामला डेटा शेयरिंग और अन्‍य राइटस पर उलझ गया। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ केवल बाहरी सहयोग के पक्षधर हैं। वे पार्टी का अंदरूनी डेटा प्रशांत किशोर के साथ शेयर करना नहीं चाहता हैं। जबकि प्रशांत किशोर अपनी वर्किंग स्‍टाइल के अनुसार हर पहलू पर नियंत्रण और जानकारियां चाहते हैं।

यही कारण है कि प्रशांत किशोर साफ कर दिया है कि फिलहाल राज्य स्तर पर कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने में उनकी कोई रुचि नहीं है। एबीपी न्‍यूज के अनुसार प्रशांत किशोर ने मीडिया से कहा है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुझसे संपर्क किया था लेकिन मैंने उन्हें कोई सहमति नहीं दी है. मैं इस पर अभी कोई फैसला नहीं ले रहा, क्योंकि राज्य स्तर पर कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।"