हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहारों को सोल्लास मनाने की प्राचीन परम्परा है। जिसका परिपालन आज भी भारत के नागरिक उसी उत्साह के साथ करते हैं। इसी क्रम में मकर सक्रांति मनाई जा रही है। पूरे वर्ष भर में  किसी राशि के नाम से प्रारम्भ होने वाला वाला त्योहार केवल मकर सक्रांति ही है। जैसे-होली, दीवाली, रक्षा बंधन, दशहरा आदि तिथि और नक्षत्र के अनुसार मनाये जाते हैं, लेकिन संक्रांति को राशि के आधार पर मनाने की परम्परा है। इसदिन भगवान भुवन भास्कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, और अपने अयन (दक्षिणायन) से (उत्तरायण) में भी प्रवेश करेंगे। यह समय अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करके दान सत्संग आदि पुण्यप्रद माना जाता है।

दान में काला तिल, चावल,उड़द की दाल,शुद्ध देशी घी, नमक और वस्त्र का दान करने से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। इस वर्ष संक्रांति के दिन चार ग्रह- शनि, सूर्य, बुध और गुरु मकर राशि में स्थित रहेंगे। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा शुभ अवसर पांच सौ वर्ष के बाद आ रहा है। मकर राशि पर शनि, बुध और गुरु पहले से ही चल रहे हैं। और आज सूर्य भी मकर में आ जायेंगे। इसलिए सूर्य और बुध मिलकर बुधादित्य योग बना रहे हैं, जो कि मकर राशि वालों के लिए बहुत ही शुभ है। लेकिन शनि की दृष्टि होने के कारण मेष राशि वालों के लिए ठीक नहीं होगा।

धनु और मीन राशि के जातकों के लिए भी बहुत शुभ नहीं होगा। लेकिन मकर राशि के लिए समय अच्छा रहेगा। मकर राशि के जातकों की स्मरण शक्ति बहुत मजबूत होती है। विचारों में गहराई और एक साथ कई कार्य करने की क्षमता होती है। ये लोग अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करते हैं। इच्छा शक्ति की प्रबलता से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। इसलिए मकर राशि वालों के लिए यह संक्रांति उत्तम फल देने वाली सिद्ध होगी। अतः हमें हमारी भारतीय संस्कृति का परिपालन करते हुए मकर संक्रांति के स्नान दान आदि पुण्य कर्म करते हुए अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।