बेलारूस। हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में कथित गड़बड़ियों को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों का परचम अब देश की महिलाओं ने थाम लिया है। सफेद कपड़े पहने, पोस्टर और फूल लिए महिलाओं ने यह कदम तब उठाया है, जब बेलारूस में पिछले दिनों एक हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।

वहीं प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ज्यादती की खबरें भी अंतराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में तैर रही हैं। बेलारूस की इन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी महिलाओं को सत्ता की ज्यादती के खिलाफ पूरी दुनिया में अटूट साहस और नैतिक बल के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।

बीते दिनों महिलाएं बेलारूस में निरंकुश सत्ता के खिलाफ प्रतिरोध का चेहरा बनी हैं। हाल ही में स्वेतलाना सिखानौस्काया ने 26 साल से देश की सत्ता पर काबिज निरंकुश राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको के खिलाफ राष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ा। देश के चुनाव आयोग के मुताबिक लुकाशेंको को 80 प्रतिशत और स्वेतलाना को मात्र 10 फीसदी वोट मिले। चुनाव परिणाम आते ही गड़बड़ियों के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और प्रदर्शनकारियों पर ज्यादती की खबरों के बीच स्वेतलाना देश छोड़कर लिथुआनिया चली गईं।

अंग्रेजी की अध्यापिका रह चुकीं 37 वर्षीय स्वेतलाना ने यह चुनाव तब लड़ा था, जब मई में उनके पति को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके पति अलेक्सांद्र लुकाशेंको के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। स्वेतलाना को इससे पहले राजनीति का कोई अनुभव नहीं था, हालांकि देखते ही देखते वे काफी लोकप्रिय हो गईं। चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अपनी हार मानने से इनकार कर दिया और पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। चुनाव से पहले अलेक्सांद्र लुकाशेंको ने स्वेतलाना का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि उन्हें अपने बच्चों के लिए खाना बनाने पर ध्यान देना चाहिए। लुकाशेंको इस टिप्पणी ने देश की जनता में रोष पैदा कर दिया।

स्वेतलाना की सहयोगी मारिया कोल्सेनिकोवा ने मीडिया संस्थान द गार्जियन को बताया, “हम औरतों ने दिखाया है देश का भविष्य तय करने की कुव्वत हमारे भीतर कूट-कूटकर भरी हुई। रूस हमारी मदद नहीं करेगा, पश्चिमी देश हमारी मदद नहीं करेंगे। अपनी मदद केवल हम कर सकते हैं। हम महिलाएं पूरी दुनिया की स्त्रियों और पुरुषों के लिए एक चेहरा बन गई हैं कि हमें अपनी जिम्मेदारी खुद समझनी होगी।”

बताया जा रहा है कि पुलिस ने बेलारूस के प्रदर्शनकारियों पर जो ज्यादती की, वह आधुनिक यूरोप के इतिहास में सबसे वीभत्स है। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हो गई। पुलिस ने अंधाधुंध तरीके से ना केवल प्रदर्शनकारियों बल्कि आम लोगों की भी प्रताड़ित किया। पुलिस ने वृद्ध लोगों और पत्रकारों को भी नहीं बख्शा। पुलिस की इस बर्बरता का केंद्र बेलारूस की राजधानी मिंस्क रही। पुलिस की इस बर्बरता का शिकार होकर कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं।

एकबारगी पुलिस ने प्रदर्शनों को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया था, लेकिन जैसे ही हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों को छोड़ा गया और उनके साथ हिरासत में हुई बर्बरता के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर साझा हुए, वैसे ही देश में प्रदर्शनों की एक दूसरी लहर शुरू हो गई।