रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोविड 19 से बचाव के लिए भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन की पहली खेप आज पहुंच गई। राज्य में अब तक कोरोना से बचाव के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की बनाई कोविशील्ड का इस्तेमाल ही होता रहा है।
रायपुर में कोवैक्सिन के आज 5 बॉक्स पहुंचे हैं, जिनमें टीके की 35 हजार डोज़ भेजी गई है। रायपुर एयरपोर्ट पर वैक्सीन लाने वाली इंडिगो फ्लाइट का स्वागत वाटर कैनन से किया गया गया। जिसे राज्य वैक्सीन भंडारण की टीम ने रिसीव किया। यह कोवैक्सीन की पहली खेप है, इससे पहले दो खेपों में 5 लाख 90 हजार डोज कोविशील्ड वैक्सीन भेजी गई थी।
देशभर की तरह छत्तीसगढ़ में भी 16 जनवरी से टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। तब कोविशील्ड वैक्सीन का पहला टीका स्वास्थ्यकर्मियों को लगाया गया था। फिलहाल प्रदेश में कोविशील्ड की वैक्सीन का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं कोवैक्सीन आने के बाद इसका उपयोग भी टीकाकरण के लिए होगा।
भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन लगातार विवादों में घिरी रही है। टीकाकरण शुरू होने के बाद पहले दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेज़िडेंट डॉक्टर्स ने कोवैक्सीन लगाए जाने का विरोध किया था। बाद में कर्नाटक के रेज़िडेंट डॉक्टर्स ने भी स्वास्थ्यकर्मियों को कोवैक्सीन का टीका लगाने का विरोध किया। इन सभी का कहना है कि कोवैक्सीन का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है, ऐसे में इसे लगाना ठीक नहीं है। दोनों ही जगह डॉक्टरों ने कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड का टीका लगाए जाने की मांग की थी। हालांकि सरकार लगातार दावा करती आ रही है कि दोनों ही वैक्सीन सुरक्षित हैं और समान रूप से प्रभावशाली हैं। हालांकि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे मार्च में आने की उम्मीद है। लेकिन इमरजेंसी अप्रूवल के तहत इसके इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई है।