नई दिल्ली। 27 अगस्त को होने जा रही जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र सरकार और राज्यों के बीच तीखी बहस छिड़ने वाली है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने बीत जाने के बाद भी राज्यों को केंद्र सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है। जबकि जीएसटी के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगले पांच साल तक राज्यों को होने वाले कर संग्रह की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। यह एक संवैधानिक प्रावधान है और इसके लिए आधार वर्ष 2015-16 तय किया गया है। राज्य इस मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

इस पूरे विवाद के चलते संभावना है कि राज्य केंद्र सरकार से मुआवजे की राशि पर सहमति ना बनने पर विवाद सुलझाने की एक दूसरी व्यवस्था बनाने की मांग कर सकते हैं। साथ ही राज्य जीएसटी परिषद में उपाध्यक्ष का पद भी मांग सकते हैं। 

दरअसल, केंद्र सरकार चाहती है कि राज्यों को कर संग्रह में जो घाटा हुआ है, उसे वे उधार लेकर पूरा करें। जबकि राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार या फिर जीएसटी परिषद उधार लेकर भरपाई करें। केंद्र सरकार का कहना है कि उसके पास राज्यों को देने के लिए पैसे नहीं हैं। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट जाकर यह तक कह चुकी है कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत केंद्र सरकार राज्यों के कर संग्रह में कमी आने पर उसकी भरपाई करे। 

इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में मुआवजे के तौर पर 21,940 करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ है, जो पिछले साल के मुकाबले 33 प्रतिशत कम है। जीएसटी परिषद में यह विचार भी होगा कि कर संग्रह को कैसे बढ़ाया जाए। 

दूसरी तरफ पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को मुआवजा ना देकर संविधान का उल्लंघन किया है। मनप्रीत बादल ने कहा, ‘‘हिंदुस्तान में पिछले दिनों प्रवासी मजदूरों के पलायन के जो काफ़िले देखे गए, वैसे मंजर हमने पंजाब में देखे थे जब देश का बंटवारा हुआ था। ऐसे हालात में केंद्र सरकार को राज्यों की स्थिति को समझना चाहिए।’’

उनके मुताबिक, पंजाब का केंद्र सरकार पर जीएसटी का 4,400 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के वेतन पर 1,800 करोड़ रुपये खर्च होता है। ऐसे स्थिति में राज्य चलाना मुश्किल है। बादल ने कहा कि सरकार को राज्यों को जीएसटी के बकाये की राशि तत्काल देनी चाहिए। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी केंद्र सरकार को राज्यों को मुआवजा देने के लिए कहा है। वित्त सचिव ने अटॉर्नी जनरल से ही सुप्रीम कोर्ट में कहलवाया था कि केंद्र द्वारा राज्यों को मुआवजा देने का कोई संवैधानिक प्रावधान मौजूद नहीं है।