नई दिल्ली। सरकार की दिग्गज बिजली कंपनी एनटीपीसी अब दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड में मेजॉरिटी शेयर खरीदने के लिए बोली नहीं लगाएगी। कंपनी ने मई में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) को चिट्ठी लिखकर इन कंपनियों में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का इरादा जाहिर किया था। लेकिन बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक अब कंपनी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। बीएसईएस की दोनों कंपनियां रिलायंस इंफ्रा और दिल्ली सरकार की साझा कंपनियां हैं, जिसमें बहुमत शेयर रिलायंस इंफ्रा के पास हैं।

अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एनटीपीसी ने बीएसईएस की हिस्सेदारी खरीदने से इसलिए इनकार कर दिया है, क्योंकि शेयर बेचने की प्रक्रिया DERC की देखरेख में नहीं हो रही है। एनटीपीसी ने इसे पारदर्शिता का अभाव बताते हुए बिडिंग में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। कंपनी के एक अधिकारी ने अखबार से कहा कि बीएसईएस एक सार्वजनिक कंपनी है, लिहाजा हम इसके शेयर की बिक्री का काम DERC की देखरेख में होने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन चूंकि ऐसा नहीं किया जा रहा, इसलिए एनटीपीसी इसमें शामिल नहीं होगा। अखबार ने ये भी बताया है कि रिलायंस इंफ्रा ने जून में शेयर बिक्री की प्रक्रिया से कंसल्टेंसी फर्म KPMG को भी बाहर कर दिया था, जिसके बाद से अब तक किसी नए कंसल्टेंट की नियुक्ति नहीं की गई है। दिल्ली की बिजली वितरण इकाइयों की हिस्सेदारी 2002 में निजी क्षेत्र को बेची गयी थी। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने तभी बीएसईएस राजधानी और बीएसईएस यमुना की हिस्सेदारी खरीदी थी।

अगर यह खबर सही है तो इससे बीएसईएस के शेयर बेचने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सवाल यह भी है कि अगर भारत सरकार की इतनी बड़ी कंपनी पारदर्शिता का अभाव बताते हुए शेयर खरीदने से इनकार कर रही है, तो भारत सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही?