जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के चौमूं कस्बे में मस्जिद के बाहर से पत्थर हटाए जाने की घटना को लेकर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई है। शुक्रवार तड़के करीब 3 बजे यहां रेलिंग लगाने को लेकर विवाद हो गया। इस दौरान उपद्रवियों के पथराव में कई पुलिसवालों के सिर फूट गए। मामला बिगड़ता देख इलाके में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह पूरा विवाद मस्जिद के पास सड़क किनारे लगे पत्थरों को हटाने से जुड़ा है। गुरुवार शाम को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और पुलिस प्रशासन के बीच वार्ता हुई थी। जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों ने स्वयं पत्थर हटाने पर सहमति जताई थी। लेकिन तड़के करीब 3 बजे पुलिस ने लोहे की रेलिंग लगाकर बाउंड्री बनाने का काम शुरू कर दिया। इसी को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई।

विरोध कर रही भीड़ के हटाने के लिए पुलिस की ओर से आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद भीड़ उग्र हो गई और पत्थरबाजी शुरू हो गई। इस घटना में 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिसवालों को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। मौके पर चार से ज्यादा थानों के पुलिसकर्मी और आरएसी की कंपनी तैनात है। कस्बे में 24 घंटे के लिए इंटरनेट भी बंद किया गया है। अब तक 50 उपद्रवियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

चौमूं हिंसा मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच बयानबाजी हो गई। बीजेपी नेता रामलाल शर्मा ने कहा है कि पुलिस ने ट्रैफ़िक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई की है। मामले में 40 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और उपद्रव करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। 

वहीं, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। डोटासरा ने कहा कि यह पूरी तरह से पुलिस प्रशासन की विफलता है। डोटासरा ने आरोप लगाया कि बैठक में सहमति केवल सड़क किनारे पड़े पत्थरों को हटाने की थी, लेकिन पुलिस की मंशा मस्जिद हटाने की थी। इसी गलत मंशा के कारण पूरा विवाद भड़का। पीसीसी चीफ ने आगे कहा कि संबंधित मस्जिद को लेकर पहले से ही कोर्ट का स्टे है, इसके बावजूद पुलिस की कार्रवाई ने हालात बिगाड़ दिए। मामले में निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।