सीहोर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में एक ही दिन में दो आत्महत्याओं का मामला सामने आया है। पहली खबर इलाके के गुड़भेला गांव से आयी और दूसरी जावर तहसील के कुर्लीकला गांव की है। यहां भी किसान ने सोयाबीन की फसल खराब होने की वजह से अपने घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी। घर में फांसी लगाने वाले किसान रमेश गोपीलाल पर करीब 5 लाख रुपए का कर्ज था। यह कर्ज उसने बैंक और अन्य संस्थाओं से ले रखा था। किसान के परिजन का कहना है कि वह पिछले कई दिनों से वह गुमसुम सा था। किसान को कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भी मिला था।

Click Shivraj Singh के मंत्री ने कहा, फसल नहीं दिमाग बिगड़ा था, इसलिए की आत्महत्या 

मृतक किसान रमेश गोपीलाल के परिवार में उसके बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं। उसके पिता लकवाग्रस्त हैं।उनके बेटे ने मीडिया को बताया कि उनके पिता सोयाबीन की फसल खराब होने और कर्ज की वजह से परेशान थे। पिता के इलाज में भी परेशानी आ रही थी। किसान के पास 5 बीघा जमीन थी। इसी खेती पर पूरा परिवार आश्रित था। किसान को कर्ज चुकाने के लिए लगातार नोटिस आ रहे थे। जिसकी वजह से वह परेशान था। इस परेशानी से पार पाने का उसे कोई रास्ता नहीं सूझा तो अपने घर पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 

ठीक इसी दिन सीहोर जिले के एक दूसरे गांव गुड़भेला गांव में भी एक किसान बाबूलाल वर्मा ने अपने खेत में पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। बाबूलाल भी अपनी फसल खराब हो जाने से दुखी था। 

Click:  सीएम के गृह ज़िले में किसान ने की आत्महत्या

लेकिन इस पूरे मामले में सत्तानशीं बीजेपी की बेहद असंवेदनशील प्रतिक्रिया सामने आई है। विपक्ष के सवाल उठाने पर शिवराज सिंह कैबिनेट के एक मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि किसान का दिमाग खराब था इसलिए उसने आत्महत्या की।

किसान और दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले में देश में चौथे नंबर के राज्य में किसान फसल खराब होने और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्याएं कर रहे हैं। विपक्ष सरकार की नीतियों को गलत बता रहा है तो सरकार इस आत्महत्याओं से पल्ला झाड़ने के लिए बीमारी, मानसिक हालत जैसे कारण खोज रही है। सरकार की बेरुखी और विपक्ष के तेवर के बीच किसानों की मौत का सिलसिला जारी है।