स्टॉकहोम। हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए संयुक्त रूप से तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से साल 2020 का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। दो अमेरिकी वैज्ञानिकों हार्वे जे ऑल्टर, चार्ल्स एम राइस और एक ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल हॉफटन को यह सम्मान मिला है। उनकी खोज को चिकत्सा विज्ञान के क्षेत्र में ग्राउंड ब्रेकिंग माना जा रहा है। हेपेटाइटिस सी वायरस दुनिया भर में सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को जन्म देता है। हेपेटाइटिस सी वायरस की वजह से ही लिवर में इनफ्लेमेशन हो जाता है।
हार्वे जे ऑल्टर मैरीलैंड में अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन में कार्यरत हैं। वहीं चार्ल्स एम राइस न्यूयॉर्क में रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और माइकल हॉफटन एक वॉयरोलॉजिस्ट के तौर पर कनाडा की अलबर्टा यूनिवर्सिटी में शोध करते हैं। तीनों वैज्ञानिकों को पुरस्कार के तौर पर 8.2 करोड़ रुपये मिलेंगे। नोबेल समिति के प्रमुख थॉमस पर्लमन ने स्टॉकहोम में इस पुरस्कार की घोषणा की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक दुनिया में सात करोड़ से अधिक लोग हेपेटाइटिस सी वायरस से संक्रमित हैं। इस वायरस की वजह से हर साल चार लाख लोगों की जान जाती है। बताया जा रहा है कि इस खोज के बाद अब सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए दवाइयां बनाई गई हैं, जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकी है।
नोबेल का भौतिकी और रसायन विज्ञान पुरुस्कार क्रमश: 11 अक्टूबर और 12 अक्टूबर घोषित किया जाएगा। इस बार सबकी नजरें शांति के नोबेल पुरस्कार पर भी हैं। नॉर्वे में नोबेल समिति के सदस्य और एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी के सांसद ने शांति का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को देने की सिफारिश की है। जबकि खुद उनके देश अमेरिका में बहुत से लोग ट्रंप को सामाजिक रूप से विभाजनकारी नीतियों को बढ़ावा देने वाला मानते हैं। खुद ट्रंप भी बार-बार पूछे जाने पर भी सीधे तौर पर White Supremacist यानी श्वेत वर्चस्ववादी विचारों को खारिज नहीं करते।