ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने टमाटर में एक ऐसे तत्व को खोज निकाला है जो पार्किंसन्स जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में मदद कर सकता है। इस टमाटर को जेनेटिकली मोडिफाइड पौधे की मदद से तैयार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पार्किंसन्स बीमारी के इलाज़ में एल-डीओपीए की काफी अहमियत होती है। टमाटर के जीएम पौधे का उपयोग उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो पार्किंसंस के प्रभाव से ग्रसित हैं.

खोज ब्रिटेन के जॉन इनस सेंटर के एक डॉक्टर के नेतृत्व में हुई है। इस टीम के वैज्ञानिकों के अनुसार एल-डीओपीए के सिंथेसिस के लिए जिम्मेदार एक जीन के जरिए टमाटर को रिवाइज किया गया। कई चरणों के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है। साइंस डेली की रिपोर्ट अनुसार अभी इस रिसर्च और उसके रिजल्ट का काम पाइपलाइन में है। इस रिसर्च के बारे में प्रोफेसर कैथी मार्टिन ने कहा कि पार्किंसंस बीमारी विकासशील देशों में तेजी से पैर पसार रही है। कई देशों में बहुत से लोग आसानी से एल-डीओपीए का खर्चा नहीं उठा सकते।

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की इस रिसर्च से टमाटरों में एल-डीओपीए तत्व की खोज एक महत्वपूर्ण उपलब्धी है। जिसे टामाटरों को जेनेटकली मोडीफाइड करके प्राप्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि जेनेटकली मोडीफाइड तकनीक की मदद से तैयार की जाती है, किसी वनस्पति के जीन निकालकर दूसरी वनस्पति में डाला जाता हैं। ताकी उनकी क्वालिटीज बेहतर हो सकें।

आपको बता दें कि पार्किंसन्स एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। हमारे दिमाग की जिन कोशिकाओं में डोपेमाइन रसायन पाया जाता है, उनके कम या नष्ट होने से यह बीमारी होती है। अब टामटरों की जीएम क्राप की मदद से एल-डीओपीए तत्व मिलने की उम्मीद जागी है, इससे मरीजों को फायदा मिल सकेगा।

क्या है पार्किंसन्स रोग

पार्किंसन्स रोग

 जिसमें मरीज के शरीर में कंपन होने लगता है। जिससे उसे चलने-फिरने में परेशानी होती है। मरीज के शरीर में कंपन होने लगता है, बॉडी स्टिफ हो जाती है, कोआर्डिनेशन में कमी होती है। इसके शुरुआती लक्षणों में उंगली, हाथों जैसे अंगों में कंपकपी से इसकी शुरुआत होती है, और फिर कुछ वक्त बाद ये पूरे शरीर में फैल जाती है। अगर लिखने में तकलीफ होना भी पार्किंसन रोग का लक्षण है।