सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की स्थगित परीक्षाओं का आयोजन होगा या नहीं इसका फैसला आज होने की उम्मीद है। पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई से स्थगित परीक्षाओं के आयोजन पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। शीर्ष अदालत ने सीबीएसई से बची हुई परीक्षाओं के आयोजन के बनिस्बत छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन और व्यावहारिक परीक्षाओं के आधार पर अंक देने हेतु अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। सीबीएसई को आज इस मसले पर अपना पक्ष रखना है।



सीबीएसई ने उत्तर - पूर्वी दिल्ली में दसवीं और देश भर में बची बारहवीं की परीक्षाओं का आयोजन 1 जुलाई से 15 जुलाई तक संपन्न कराने का निर्णय लिया है। सीबीएसई के इसी फैसले पर अभिभावकों के एक समूह ने शीर्ष अदालत का रुख किया है। अभिभावकों ने अपनी याचिका में कोरोना का हवाला देते हुए कहा था कि परीक्षाओं का आयोजन बच्चों की जान जोखिम में डालने के बराबर है।



अभिभावकों ने अपनी याचिका में एम्स की एक रिपोर्ट को आधार बना कर कहा था कि आने वाले समय में कोरोना के अपने चरम पर पहुंचने की आशंका है। तो वहीं दूसरी तरफ बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बिना लक्षण के कोरोना का संक्रमण हो रहा है। इस वजह से बच्चों पर कोरोना के संक्रमण का ख़तरा तो है ही लेकिन इसके साथ ही बच्चों का कोरोना वाहक बनने का ख़तरा भी है।



सर्वोच्च न्यायालय ने अभिभावकों का पक्ष सुनते हुए सीबीएसई को 23 जून को अपना पक्ष रखने को कहा था। आज सीबीएसई बोर्ड शीर्ष अदालत में अपना पक्ष रखेगा। ऐसे में आज आगामी परीक्षाओं के आयोजित होने या न होने पर फैसला आने की उम्मीद है।



छात्रों की सेफ्टी और सिक्योरिटी सर्वोपरि



कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा है कि छात्रों की सेफ्टी और सिक्योरिटी सर्वोपरि है। उनके मुताबिक बच्चों की जान जोखिम में डालने का ख़तरा लेने की बजाय पिछली परीक्षाओं में प्राप्त अंक के ही आधा पर परिणाम घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आज सुप्रीम कोर्ट सभी परीक्षा बोर्ड और छात्रों पर एक निर्णय लेगा। कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया है कि 'सप्रीम कोर्ट सीबीएससी परीक्षाओं के सम्बंध में  निर्णय कल करेगी। स्टूडेंट्स की सेफ़्टी और सिक्यरिटी सर्वोपरि है। जो भी निर्णय हो वो समस्त परीक्षा बॉर्ड्ज़ और स्टूडेंट्स पे uniformly लागू हो। लाखों स्टूडेंट्स की धड़कन निर्णय की प्रतीक्षा में बेताब हैं। '