अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के एक वर्ष पूरे हो जाने के मौके पर चीन ने एक बार फिर से अपना विरोध जताया है। चीन ने इस कदम को यथास्थिति में एकतरफा परिवर्तन बताते हुए इसे गैरकानूनी और अमान्य कहा। चीन के विदेश मंत्रालय ने पिछले साल भी इसी तरह का बयान जारी किया था।

चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “चीन कश्मीर क्षेत्र के घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए है। इस मुद्दे पर हमारा रुख शुरुआत से एक जैसा और साफ है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक विवादित मामला है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय समझौतों ने इस तथ्य को स्थापित किया है। यथास्थिति में किसी भी तरह का एकतरफा परिवर्तन अवैध और अमान्य है।”

पिछले साल चीन ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने पर खासतौर पर विरोध जताया था, जिसमें चीन द्वारा शासित अक्साई चीन का हिस्सा शामिल था। हालांकि, भारत ने यह साफ किया था इस परिवर्तन ने किसी भी तरीके से भारत की बाहरी सीमाओं और क्षेत्रीय दावों को नहीं बदला है। इस बार के बयान में चीन ने लद्दाख का जिक्र नहीं किया है।

चीन ने कहा कि दोनों देशों को संवाद और सलाह से कश्मीर मसले को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए।

बयान मे कहा गया, “भारत और चीन एक दूसरे के पड़ोसी हैं जिन्हें एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। शांतिपूर्ण सहअस्तित्व से दोनों देशों के मूलभूत हितों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझी आकांक्षाओं की पूर्ति होगी।”

चीन के विदेश मंत्रालय ने हालांकि पाकिस्तान द्वारा जारी नए नक्शे पर कोई टिप्पणी नहीं की और ना ही इसकी निंदा की। अपने-अपने क्षेत्र में आंतरिक बदलाव को लेकर पाकिस्तान और भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर भारतीय अधिकारी चीन के रुख में विरोधाभास देखते हैं। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले गिलिगिट बाल्टिस्तान इलाके में परिवर्तन किए हैं और चीन ने उसी तरह पाकिस्तान के कदमों की आलोचना नहीं की है, जिस तरह वह भारत की कर रहा है।