इथियोपिया। इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी रविवार को अचानक फट गया। लगभग 12 हजार साल से निष्क्रिय इस ज्वालामुखी के विस्फोट ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। विस्फोट के बाद राख और सल्फर डाइऑक्साइड का गुबार 15 किमी तक ऊंचा उठकर लाल सागर को पार करता हुआ यमन और ओमान से होते भारत तक पहुंच गया।
सोमवार देर रात करीब 11 बजे यह राख दिल्ली के आसमान पर भी नजर आने लगी। यह गुबार राजस्थान के जैसलमेर और जोधपुर से भारत में दाखिल होकर धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बढ़ रहा है। फिलहाल यह बादल राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली के ऊपर पसरा है और इसका असर पंजाब, हिमाचल व पश्चिमी यूपी के पहाड़ी इलाकों में दिखने लगा है। इसका एक छोटे हिस्से ने गुजरात को भी छू लिया है। अच्छी बात यह है कि घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। यमन और ओमान की सरकारों ने एहतियाती अलर्ट जारी किया है।
आसमान में फैली राख के चलते कई एयरलाइनों ने एहतियात के तौर पर उड़ानें रद्द कर दी हैं। एअर इंडिया ने 11 उड़ानें रद्द की हैं। वहीं, अकासा एयर ने 24–25 नवंबर की जेद्दा, कुवैत और अबू धाबी रूट की फ्लाइटें रद्द की हैं। जबकि, KLM ने एम्स्टर्डम–दिल्ली उड़ान रोक दी हैं। साथ ही इंडिगो ने भी स्थिति पर लगातार निगरानी शुरू कर दी है और जरूरत पड़ने पर वे भी उड़ाने रद्द कर सकती हैं। मुंबई एयरपोर्ट ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे घर से निकलने से पहले अपनी उड़ानों की स्थिति की जांच कर लें क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मार्गों में बदलाव किया जा सकता है।
DGCA ने एयरलाइनों को साफ निर्देश दिया है कि राख वाले आसमान से बचते हुए रूट बदला जाए। साथ ही इंजन प्रदर्शन में समस्या, केबिन में धुआं-गंध जैसी किसी भी असामान्य स्थिति की तुरंत रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। जरूरत पड़ने पर रनवे और टैक्सी ट्रैक की जांच भी की जाएगी। हालांकि, फिलहाल भारत के ऊपर राख की ऊंचाई ज्यादा है इसलिए टेकऑफ और लैंडिंग पर गंभीर खतरा नहीं माना जा रहा। फिर भी विमान इंजन के लिए ज्वालामुखीय राख सबसे बड़ी जोखिम बनी रहती है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि गुबार काफी ऊंचाई पर है इसलिए दैनिक जीवन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, श्वास संबंधी रोगियों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। IMD के अनुमान के मुताबिक यह राख मंगलवार शाम तक भारत से निकलकर चीन की ओर बढ़ जाएगी।
हेली गुब्बी अफार रिफ्ट में स्थित है जहां धरती की प्लेटें अलग हो रही हैं। इस इलाके के कुछ अन्य ज्वालामुखी जैसे एर्टा एले लगातार सक्रिय रहते हैं और लगातार मॉनिटर किए जाते हैं। लेकिन हेली गुब्बी की अचानक सक्रियता ने शोधकर्ताओं को नई पहेलियों से भर दिया है। सल्फर डाइऑक्साइड की बड़ी मात्रा निकलने से वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्वालामुखी के भीतर दबाव तेजी से बढ़ रहा है। यह किसी बड़े और संभावित अगले विस्फोट का संकेत हो सकता है।