चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच 21 अगस्त को दूसरी सालाना रणनीतिक वार्ता हुई। इसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने के तरीकों, कश्मीर मुद्दा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर प्रगति और अफगान शांति प्रक्रिया के बारे में बात की।

दक्षिण चीन के हैनान में बैठक शुरू होने से पहले दोनों देशों ने इसे ‘‘समसामयिक एवं बेहद महत्वपूर्ण’’ बताया था। इसमें चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी ने कई द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत की।

बैठक के अंत में जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने यह रेखांकित किया कि शांतिपूर्ण, स्थिर, सहायक एवं समृद्ध दक्षिण एशिया सभी पक्षों के साझा हित में है। सभी पक्षों को क्षेत्र में अपने मतभेद एवं मुद्दे वार्ता के जरिए तथा समानता एवं साझा सम्मान को ध्यान में रखते हुए सुलझाने होंगे।’’

इसमें कहा गया, ‘‘पाकिस्तानी पक्ष ने चीनी पक्ष को जम्मू-कश्मीर में हालात, चिंताओं तथा वर्तमान के आवश्यक मुद्दों के बारे में जानकारी दी।’’

संयुक्त प्रेस नोट में कहा गया, ‘‘चीनी पक्ष ने दोहराया कि कश्मीर मुद्दा भारत एवं पाकिस्तान के बीच इतिहास से विवाद बना हुआ है, यह एक वस्तुनिष्ठ तथ्य है और इस विवाद का हल संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र, सुरक्षा परिषद के संबद्ध संकल्पों और द्विपक्षीय समझौतों के जरिए शांतिपूर्ण एवं उचित तरीके से होना चाहिए। चीन ऐसी किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है जिससे हालात जटिल होते हों।’’

वहीं, भारत कहता आया है कि जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करने का चीन को कोई अधिकार नहीं है।