इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान की ऐसी खिंचाई की है, जिसकी कोई और मिसाल मिलनी मुश्किल है। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने बेहद कड़े शब्दों में कहा है कि इमरान खान की सरकार देश चलाने में सक्षम नहीं है। अदालत ने सरकार के कामकाज में कई खामियां गिनाते हुए सवाल किया कि क्या देश ऐसे चलेगा? नया पाकिस्तान का नारा देकर सत्ता में आने वाले इमरान के कार्यकाल में आर्थिक तंगी बढ़ी है। विपक्ष लगातार विरोध प्रदर्शन करके उनपर इस्तीफे का दबाव बना रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की इन तल्ख टिप्पणियों के बाद इमरान खान के लिए आगे की राह और भी मुश्किल होने के आसार हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि इमरान खान की सरकार पिछले दो महीनों से कॉमन इंटरेस्ट काउंसिल (सीसीआई) की बैठक तक नहीं बुला पाई है। अदालत ने पूछा, 'क्या देश इस तरीके से चलेगा। सरकार देश चलाने में अक्षम है। जनगणना की घोषणा न करना, केंद्र-राज्य शक्तियों को लेकर होने वाली बैठक को न बुलाना सरकार की अयोग्यता को दर्शाता है।' 

मामले की सुनवाई जस्टिस काजी फैज ईशा समेत दो सदस्यीय पीठ कर रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि जनगणना देश को चलाने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है। इस दौरान जस्टिस ईसा ने कहा कि, 'क्या जनगणना के परिणाम जारी करना सरकार की प्राथमिकता नहीं है? तीन प्रांतों में सरकार होने के बावजूद परिषद में कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है? इसका मतलब यह है कि या तो सरकार देश चलाने में सक्षम नहीं है, या वह निर्णय लेने में असमर्थ है।'

कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार से आगे पूछा कि सीसीआई रिपोर्ट को गोपनीय क्यों रखा गया था? क्या अच्छे कार्यों को गुप्त रखा जाता है? इस पर सवाल उठ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि न्यायाधीश ने कड़े शब्दों में पूछा कि क्या देश इस तरीके से चलेगा? देश को यह जानने की जरूरत है कि प्रांत और केंद्र क्या कर रहे हैं।

उधर पाकिस्तान में विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे और देश में चुनाव कराने की मांग को लेकर इस महीने किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन की योजना को स्थगित करने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) 11 विपक्षी दलों का गठबंधन है और इसने सरकार के विरोध में 26 मार्च को इस्लामाबाद में प्रदर्शन करने की घोषणा की थी, जो अब स्थगित हो गई है। बताया जा रहा है कि पीडीएम की बैठक में कई मुद्दों पर अलग राय के चलते एकमत से किसी रणनीति पर फैसला नहीं हो पाया।