महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक और यस बैंक के बाद अब रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने कानपुर स्थित पीपुल्स कॉपरेटिव बैंक को छः महीनों के लिए प्रतिबंधित किया है। आरबीआई ने इस बैंक को नए लोन देने, पुराने लोन को रिन्यू करने, संपत्ति बेचने व ग्राहकों से जमा राशि स्वीकारने पर पूर्णतः पाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही बैंक के ग्राहक अब अपने जमा पैसों को भी नहीं निकाल सकते हैं। केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने इस बैंक की वित्तीय अनिमितताओं के वजह से उपजे आर्थिक संकट का हवाला देकर इसे प्रतिबंधित किया है। इस दौरान कॉपरेटिव बैंक सिर्फ कर्ज वसूलने का काम कर सकती है।

कोरोना वायरस से उपजे देशभर में आर्थिक संकट के इस दौर में कानपुर स्थित पीपुल्स कॉपरेटिव बैंक के हजारों ग्राहकों के सामने एक नई मुसीबत आ गयी है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बैंक पर 11 जून से प्रतिबंध लगाने के बाद अब ग्राहक अपने जमा पैसे निकालने में असमर्थ हो गए हैं। इस पीपुल्स बैंक में ग्राहकों के करीब 10 करोड़ से ज्यादा रुपए जमा हैं। आरबीआई ने बैंक के खस्ता आर्थिक हालातों का हवाला देकर इसे 10 दिसंबर 2020 तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

आर्यनगर स्थित यह बैंक इस दौरान अपने ऊपर किसी प्रकार का देयता नहीं ले सकता है। वह न तो निवेश करेगा, न ऋण देगा, न ही खातों में जमा या भुगतान करेगा। आरबीआई ने बताया है कि इस अवधि में वह केवल कर्जदारों से अपना ऋण वापस लेकर एनपीए में सुधार करेगा और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) व सीआरआर (नगद आरक्षित अनुपात) व्यवस्थित कर मानक पर लाएगा।

दरअसल, बैंक ने अपनों को मनमाने तरीके से आमजन के करोड़ों रुपए ऋण में दे दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक सीआरआर की रकम को भी ऋण के रूप में बांट दी गयी है। ऐसे में बैंक के समक्ष अब गहरा आर्थिक संकट आ गया है जिसे देखते हुए प्रबंधन ने आरबीआई को पत्र लिखकर 12 मई से ग्राहकों को पैसा देने में असमर्थता जताया था। जब जांच की गयी तो भारी आर्थिक गड़बड़ियों का खुलासा हुआ जिसके बाद आरबीआई ने यह करवाई की। हालांकि आरबीआई ने साफ किया है कि इस रोक का अर्थ बैंक के लाइसेंस को रद्द करना नहीं है।