सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को गृह मंत्रालय के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर तुरंत विचार करने को कहा है, जिसमें कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी निजी कंपनियों और मालिकों को लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी तनख्वाह देने का आदेश दिया गया था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह आदेश 29 मार्च को निकाला था. हालांकि, उद्योगों के एक समूह की बात सुनने के बाद मंत्रालय ने 17 मई को यह आदेश वापस ले लिया था.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच को बताया कि केंद्र सरकार ने 29 मार्च के आदेश को रद्द करने के लिए 17 मई को एक नया आदेश जारी किया था. इसके बाद बेंच ने कहा कि सरकार इस पूरी मसले पर जवाब दाखिल करे. इस मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी.
सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से बेंच ने कहा, “इस मामले पर तुरंत ध्यान दीजिए. बहुत से लोग प्रभावित हो रहे हैं.”
Click: कर्मचारियों को पूरी तनख्वाह देने पर रोक
इससे पहले 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी तनख्वाह देना, चाहे वे काम ना कर रहे हों, कुछ बड़े सवाल खड़ा करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान शायद छोटी कंपनियों की कमाई ना हुई हो और वे कर्मचारियों को तनख्वाह देने में असमर्थ हो सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार छोटी कंपनियों की सहायता नहीं करती तो वे शायद कर्मचारियों को पैसा ना दे पाएं.