कोरोना वायरस के खतरे के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर विभिन्न देशों के प्रमुख वर्चुअल तरीके से सभा को संबोधित कर रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद संयुक्त राष्ट्र अस्तित्व में आया था और इसका प्रमुख उद्देश्य दोबारा फिर कभी इस तरह की त्रासदी से मानवता को बचाना था। हालांकि, वर्तमान में कोई विश्व युद्ध नहीं हो रहा है, लेकिन तमाम ऐसी परिस्थितियां बनी हुई हैं जो संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व को चुनौती दे रही हैं। ऐसे में संगठन के प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने अपने संबोधन में बेहद चिंताजनक बातें कहीं। 

पांच खतरों ने हमें घेर लिया है

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि चार बड़े खतरों ने हमारे भविष्य को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि हाल फिलहाल में विश्व भर में देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। जलवायु संकट विकराल होता जा रहा है। दुनिया भर के देशों का एक दूसरे पर विश्वास कम हो गया है और डिजिटल दुनिया ने असली दुनिया का अमन चैन छीन लिया है। 

गुतारेस ने आगे कहा कि अब एक पांचवा खतरा भी सामने आ गया है। इसने पहले के चार खतरों की ताकत को और बढ़ा दिया है। यह खतरा है कोरोना वायरस महामारी। 

दुखी भाव से गुतारेस ने कहा, "हर दिन हजारों लोग मर रहे हैं। परिवार रो रहे हैं और समाज टूट रहा है। हमारी दुनिया की नींव अभी से कमजोर पड़ने लगी है।"

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि हमारे सामने एक स्वास्थ्य संकट खड़ा हो गया है। अर्थव्यवस्थाएं बिखर रही हैं। 1929 की आर्थिक महामंदी के बाद से सबसे बड़ा बेरोजगारी संकट हमारे सामने मुंह बाए खड़ा है।

पॉपुलिज्म और नेशनलिज्म विफल हो चुके हैं

अपनी संकीर्ण राजनीति के लिए कुख्यात ट्रंप जैसे नेताओं पर निशाना साधते हुए गुतारेस ने कहा कि पॉपुलिज्म और राष्ट्रवाद जैसे जुमले पूरी तरह से विफल हो चुके हैं और अब जरूरत है कि दुनिया विज्ञान की दिखाए रास्ते पर चले, सामने खड़ी मुश्किलों का जीवटता और सच्चाई के साथ सामना करे। 

चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि 30 सालों में यह पहली बार है जब वैश्विक गरीबी बढ़ रही है और मानव विकास सूचकांक नीचे जा रहे हैं। हम अपने उद्देश्य से भटक चुके हैं। साइबर स्पेस और परमाणु हथियारों के खतरों के बारे में सोचना हमने बंद कर दिया है।

लिंग समानता के लिए अभी कदम उठाने की जरूरत

एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कहीं अधिक नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि अपने लिए रास्ता बना रहीं करोड़ों महिलाएं महामारी की वजह से एक झटके में बेरोजगार हो गई हैं। गुतारेस ने कहा कि अगर हमने अभी उचित कदम नहीं उठाए तो लिंग समानता की लड़ाई दशकों पीछे चली जाएगी। 

अंत में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' को लेकर भी दुनिया को आगाह किया। उन्होंने कहा कि कुछ देश केवल अपनी आबादी के लिए ही वैक्सीन विकसित करने के जद्दोजहद में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा वैक्सीन राष्ट्रवाद ना केवल गलत है बल्कि खुद को भी धोखे में रखने वाला है, हम में से कोई तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक हम सब सुरक्षित नहीं हैं।