भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के केरवा डैम पर मंगलवार दोपहर बड़ा हादसा टल गया। डैम के गेट नंबर-8 के ऊपर बने सीमेंट कंक्रीट के ब्रिज का स्लैब अचानक ढह गया। गनीमत रही कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने डैम पर आने-जाने वालों को रोक दिया है। जल संसाधन विभाग ने मामले को आंशिक क्षति बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।

प्रत्यक्षदर्शी आसिफ खान ने बताया कि वह मंगलवार सुबह करीब 9 बजे ब्रिज से गुजर रहे थे। कुछ ही दूरी तय की थी कि पीछे से ब्रिज का एक बड़ा हिस्सा भरभराकर नीचे गिर पड़ा। उनके अनुसार, उस समय कई ग्रामीण भी ब्रिज पर मौजूद थे। कुछ सेकंड की देरी होती तो बड़ा हादसा हो सकता था। बरसात के मौसम में यहां हजारों लोग पिकनिक मनाने और घूमने आते हैं जो इसी ब्रिज से होकर गुजरते हैं।

हादसे के बावजूद लोग अभी भी इस रास्ते से आ-जा रहे हैं। सुबह जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे लेकिन उसके बाद कोई भी अधिकारी स्थिति का जायजा लेने नहीं लौटा। इस बार केरवा डैम पूरा नहीं भरा गया था। जहां कोलार, भदभदा और कलियासोत डैम के गेट कई बार खोले गए वहीं केरवा डैम के गेट एक बार भी नहीं खोले गए थे। इसके बावजूद ब्रिज का हिस्सा टूटने के बाद भी लोगों की आवाजाही नहीं रोकी गई थी जिससे सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।

जल संसाधन विभाग ने बयान जारी कर कहा कि केरवा बांध के दायें पार्श्व पर बने करीब 70 मीटर लंबे फुट ब्रिज के चार स्पान में से एक स्पान (लगभग 17.5 मीटर) को आंशिक क्षति पहुंची है। यह स्पान साल 1980 में बांध निर्माण के साथ ही बनाई गई थी। विभाग का दावा है कि यह फुट ब्रिज पहले से ही आम आवागमन के लिए बंद था और केवल निरीक्षण कार्य के लिए प्रयोग में लाया जा रहा था। हालांकि, हकीकत यह है कि आसपास के गांवों के लोग नियमित रूप से इसी ब्रिज का इस्तेमाल करते हैं।

जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री नितिन कुहीकर ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने रिपोर्ट दी थी कि डैम के गेट कमजोर हैं और इन्हें रिपेयर करने की जरूरत है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, मरम्मत कार्य में लगभग पांच महीने का समय लग सकता है। विभाग के ईएनसी विनोद देवड़ा ने बताया कि 1975 से 1980 के बीच यह डैम पत्थर की चुनाई से बना था जिसकी उम्र सीमित होती है। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और विभाग जल्द रिपेयरिंग शुरू करेगा।

डैम के ऊपर से गुजर रही 33 केवी की बिजली लाइन भी इस हादसे से प्रभावित हो सकती थी। यह लाइन फिल्टर प्लांट को बिजली सप्लाई करती है। अब डैम की मरम्मत से पहले इस बिजली लाइन को शिफ्ट किया जाएगा। करीब 50 साल पुराने इस डैम का निर्माण भदभदा डैम से पहले किया गया था। भदभदा डैम साल 1965 में बना था जबकि केरवा डैम 1975 में तैयार हुआ था। यह डैम भोपाल के कोलार क्षेत्र को पानी सप्लाई करता है। हालांकि, अब इसके कई हिस्से कमजोर हो चुके हैं और ब्रिज के कई भाग क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।