जबलपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 अप्रैल को प्रदेश में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिया। इसके ठीक बाद जबलपुर में इंजेक्शन की कालबाजारी करते गए पकड़े गए युवकों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई। इंजेक्शन की कालबाज़ारी करने वालों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई किए जाने का यह प्रदेश का पहला मामला है।

जबलपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए दो आरोपियों को पुलिस ने 11 अप्रैल को पकड़ा था। 11 अप्रैल को पुलिस ने जबलपुर के मढ़ाताल स्थित न्यू मुनीष मेडिकोज में दबिश देकर नितिन और सुदामा नामक दो युवकों को पकड़ा था। यह दोनों अपूर्व अग्निहोत्री नामक एक व्यक्ति को 18 हज़ार रुपए में इंजेक्शन बेच रहे थे। 

पुलिस ने 12 अप्रैल को दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी। इसके ठीक अगले दिन यानी 13 अप्रैल को पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया था। इसके बाद जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने दोनों के खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। ज़िला दंडाधिकारी ने दोनों के खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज कर लिया। 

फिलहाल दोनों आरोपी ओमती सेंट्रल जेल में बंद हैं। दोनों को अब 6 महीने की कैद सलाखों के पीछे काटनी होगी। हालांकि मेडिकल स्टोर का संचालक कामेश राजानी और गौरव शर्मा अभी भी फरार चल रहे हैं। पुलिस इन दोनों की तलाश में भी जुटी हुई है। वहीं जबलपुर में कालाबाजारी को रोकने के लिए अब मरीज़ का फोन नंबर मुहैया कराने के बाद ही रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया कराए जाने की बात कही जा रही है। ब्लैक मार्केटिंग को रोकने का यह तरीका कितना कामयाब हो पाएगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।