भोपाल। राजधानी भोपाल के सूखी सेवनिया स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में छात्रों की सख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। जिस वजह से कई पाठ्यक्रमों की सीटें खाली है। अकेले हिंदी पाठ्यक्रम में गिनती की महज 4 सीटें हैं। विद्यार्थियों की ये कमी विश्वविद्यालय के लिए गहन चिंता का विषय बन गई है।

साल 2011 में विश्वविद्यालय को हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया था। लेकिन पाठ्यक्रम अपने उद्देश्य के मुताबित खरा नहीं उतरा है। सत्र 2025-26 में एम.ए हिंदी पाठ्यक्रम में मात्र 4 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है जबकि पीजी के दो, यूजी के दो सहित सर्टिफिकेट के एक और डिप्लोमा के सात पाठ्यक्रमों में शून्य प्रवेश हुआ है। यहां की विभिन्न कोर्स एडमिशन की तलाश में है जो अब तक खाली पड़ी है। 

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इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर हर माह लाखों खर्च कर रहा है साथ ही विश्वविद्यालय परिसर की सुविधाओं पर भी पैसा खर्चा कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद छात्र यहां एडमिशन लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। साल 2020 में विश्विद्यालय 5 करोड़ की लागत से तैयार नई बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ था। वहीं बात करे इस साल विश्वविद्यालय की 1800 सीटों पर सिर्फ 174 विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है। साल 2023 में 13 नियमित शिक्षकों की भर्ती की गई थी। जिनका वेतन करीब 1 लाख रुपए है साथ ही 22 अतिथि विद्वान है जिन्हें 33 रूपए प्रतिमाह का वेतन मिलता है।

जिन पीजी पाठ्यक्रम में शून्य प्रवेश हुए उनमें एमए अर्थशास्त्र, एमए (इतिहास), एमए (भूगोल), एमएससी (गणित), एमएससी (पर्यावरण), एमकॉम, एमबीए, गाइडेंस एवं काउंसलिंग में एक भी विद्यार्क्षी ने प्रवेश नहीं लिया है। जबकि यूजी पाठ्यक्रम में बीए (योग) और बीएससी (आधारभूत विज्ञान), सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स में पंचकर्म, योग एवं  प्राकृतिक चिकित्सा, मत्स्य एवं मात्स्यिकी, नाट्य शास्त्र एवं रंगमंच, लोक संगीत, डीसीए और पीजीडीसीए में किसी भी विद्यार्थी ने एडमिशन नहीं लिया है।