भोपाल। चिरायु अस्पताल में मरीज की मौत के बाद उसका कीमती सामान चोरी होने का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत मरीजे के बेटे ने चिरायु अस्पताल के संचालक डाक्टर अजय गोयनका से की है। अनिल रावत का आरोप है कि अस्पताल में बदहाली का आलम है। यहां इलाज कराने आए लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। और मरीज की मौत के बाद उसका सामान तक चोरी हो रहा है। जिसकी शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

चिरायु अस्पताल में कोरोना इलाज के नाम पर चल रहे माफिया का खुलासा उस वक्त हुआ जब एक NRI अनिल रावत की मां की कोरोना से मौत हो गई। जिसके बाद उनकी मां का कीमती सामान अस्पताल से चोरी हो गया। अनिल ने ईमेल के जरिए इसकी शिकायत अस्पताल के मालिक से की है और उसमें बताया है कि उनकी मां की चूड़ी, कंगन तक अस्पताल से चोरी कर लिए गए हैं। कतर की राजधानी दोहा निवासी अनिल रावत का एक ई मेल चिरायु के मालिक डाक्टर अजय गोयनका के नाम आया जिसमें उन्होंने अस्पताल की पोल खोल कर रख दी।

अपने ईमेल मेल में अनिल रावत ने लिखा है कि उनकी मां की मौत चिरायु अस्पताल में 17 अगस्त को हो गई थी। मौत से पहले उनकी मां ने सोने की तीन चूड़िया, मंगलसूत्र, कान के टाप्स, नाक की लौंग, बिछिया, पायल पहन रखा था, साथ ही उनके बैग में मोबाइल भी था। जो की अस्पताल से चोरी हो गया। उनका आरोप है कि अस्पताल में उनकी मां के इलाज में गंभीर लापरवाही हुई है। यहां कोरोना के इलाज के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। ये शर्मनाक है कि अस्पताल में किसी मरीज की मौत के बाद उसका सामान चुरा लिया जाए और उनके घरवालों को मां की निशानी तक नहीं लौटाई जाए।

अनिल का आरोप है कि भोपाल के चिरायु अस्पताल में कोरोना इलाज के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है। इसे पैसा छापने की मशीन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। चिरायु अस्पताल में मानवता नाम की चीज देखने को नहीं मिली। अनिल रावत का आरोप है कि अस्पताल में इलाज के नाम पर माफिया काम कर रहा है। अनिल ने लिखा है कि अगर उनकी माता जी का सामान नहीं लौटाया गया तो वह इसकी शिकायत पुलिस में करेंगे। और वे अपनी बात सोशल मीडिया के जरिए जनता के बीच रखेंगे।

गौरतलब है कि भोपाल में कोरोना इलाज के लिए मरीजों को चिरायु अस्पताल भेजा जाता है। क्या आम, क्या खास सभी चिरायु अस्पताल की शरण में जा रहे हैं। जैसे इस निजी अस्पताल के अलावा भोपाल शहर में कोई ढंग का अस्पताल ही ना हो। चाहे प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान हों या खुद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग, या फिर खुद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी या कैबिनेट के अन्य मंत्री और बीजेपी पदाधिकारी सभी कोरोना से इलाज के लिए चिरायु अस्पताल की राह ही पकड़ रहे हैं।