भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी सभाओं में खुद को गरीब बताते नहीं थकते। हर सभा में उनकी एक ही टेक होती है - मैं गरीब हूं इसलिए गरीबों का दर्द समझता हूं। लगता है कि बीजेपी ने शिवराज की इस कथित गरीबी को ही अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना लिया है। लेकिन खुद को बार-बार निर्धन बताने वाले शिवराज क्या वाकई ऐसे ही हैं? जी नहीं, उनकी संपत्ति के आंकड़े तो बताते हैं कि शिवराज एक ऐसे करोड़पति हैं, जिनकी दौलत में दिन-दूनी, रात चौगुनी वृद्धि हो रही है। 

ADR यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2004 से 2018 के दरम्यान शिवराज की संपत्ति 18 गुना बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2004 में जब शिवराज चौहान विदिशा से सांसद बने, तब उनकी और उनकी पत्नी की कुल संपत्ति 58 लाख 14 हजार 600 रुपये की थी। इसके 14 साल बाद, यानी 2018 में बुधनी विधानसभा क्षेत्र से नामांकन करते समय दिए गए हलफनामे में शिवराज ने खुद बताया कि उनकी और उनकी पत्नी की कुल संपत्ति 10 करोड़ 45 लाख 82 हजार 140 रुपये की हो चुकी है। यानी शिवराज चौहान के अपने ही दिए ब्योरे के मुताबिक उनकी संपत्ति ने 14 साल में 18 गुना की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की है।

सीएम शिवराज के लखपति से करोड़पति बनने का सफर

सीएम शिवराज के लखपति से करोड़पति बनने का सफर काफी प्रभावित करने वाला है। उनकी संपत्ति का ग्राफ लगातार ऊपर की तरफ ही बढ़ता रहा है, वो भी चौंकाने वाली रफ्तार के साथ। साल 2004 में उनकी करीब 58 लाख रुपये की संपत्ति 2008 में 1 करोड़ 23 लाख रुपये की हो चुकी थी। यानी चार साल में दो गुने से ज्यादा की तरक्की। इसके बाद का प्रदर्शन तो और भी चमत्कारी है। 2008 में शिवराज जैसे ही मुख्यमंत्री लग गए, उनकी संपत्ति को भी जैसे तरक्की के पंख लग गए। सीएम बनने के बाद अगले पांच साल में यानी 2013 तक शिवराज की संपत्ति पूरे पांच गुना बढ़ गई।  2013 के चुनाव में दिए हलफनामे के मुताबिक उनकी संपत्ति तब तक - 6 करोड़ 27 लाख 54 हजार 114 रुपये की हो चुकी थी। इसके बाद 2018 तक उनकी कुल संपत्ति और भी बढ़कर 10 करोड़ 45 लाख के पार हो गई। 

किस कारोबार से इतनी बढ़ गई संपत्ति 

सीएम शिवराज की संपत्ति में इस बढ़ोतरी पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पूछा है कि सीएम शिवराज ने आखिर ऐसा कौन सा कारोबार किया जिससे उनकी संपत्ति 14 साल में इतनी तेज़ी से बढ़ गई।  

करोड़पति होने के बाद भी गरीबी का ढोंग क्यों

एक तरफ चुनाव आयोग के पास दायर हलफनामे में शिवराज खुद अपनी करोड़ों की संपत्ति का ब्योरा देते हैं और दूसरी ओर चुनावी सभाओं में वह खुद को गरीब बताते नहीं थकते। ऐसे में सवाल उठता है कि करोड़पति होने के बावजूद वे जनता के बीच खुद को गरीब साबित करने पर क्यों तुले हैं? जानकारों की मानें तो 2018 में चुनाव हारने के बाद दल-बदल के दम पर फिर से सत्ता हथियाने वाले शिवराज प्रधानमंत्री मोदी रणनीति की नकल करना चाहते हैं। जिस प्रकार पीएम ने खुद को चायवाला बताकर चुनाव जीता था, वैसे ही अब शिवराज खुद को गरीब बताकर जनता का दिल जीतना चाहते हैं। लेकिन क्या ये बेहतर नहीं होता, अगर करोड़पति शिवराज खुद को गरीब बताने की बजाय तूफानी रफ्तार से करोड़पति बनने का अपना फॉर्मूला प्रदेश की गरीब जनता को भी बता देते।