इंदौर। इंदौर में मंगलवार को BSF की रेवती रेंज से निकली गोली से एक कंस्ट्रक्शन मैनेजर की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि मंगलवार को सुबह के समय पास ही में रेवती रेंज स्थित बीएसएफ कैंप में प्रैक्टिस हो रही थी। वहां चली गोली मैनेजर के हाथ को फाड़ कर सीने में जा घुसी। इस घटना के बाद अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

बताया जा रहा है कि मंगलवार को अचानक बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के सुपरवाइजर की गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस जांच में न तो आसपास कोई खोखा बरामद हुआ और न किसी ने गोली चलने की आवाज सुनी थी। मृतक के साथ बिल्डिंग पर काम करने वाले मजदूर भी खड़े थे। उनके मुताबिक, अचानक सुपरवाइजर के शरीर से खून निकला और वह गिर गए. मौके पर पहुंची पुलिस पहले घटना को हत्या मान जांच करने लगी। लेकिन, पोस्टमार्टम के दौरान शरीर से निकली गोली ने घटनाक्रम का रुख मोड़ दिया।

दरअसल, पोस्टमार्टम में मृतक के शरीर से 7.62 एमएम की गोली निकली। यह बुलेट आमतौर पर पैरामिलिट्री फोर्स और बीएसएफ के शूटर्स इस्तेमाल में करते हैं। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस जांच में जुटी हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई की जिस बंदूक से मृतक को गोली लगी वह डोमेस्टिक वेपन नहीं है। 

इसके बाद पुलिस ने आसपास के क्षेत्र जहां पर बीएसएफ के द्वारा फायरिंग का प्रशिक्षण लिया जाता था, उसमें भी जांच पड़ताल की। वहां के कुछ अधिकारियों से अल सुबह फायरिंग रेंज में ट्रेनिंग के बारे में जानकारी मिली। इस दौरान यह बात सामने आई की घटना के कुछ ही मिनट पहले वहां पर ट्रेनिंग बीएसएफ के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा की जा रही थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बलराम मजदूरों के साथ निर्माणाधीन मकान को देखने गए थे। वहां खड़े होकर वह बिल्डिंग को देख रहे थे। अचानक उनके शरीर से खून बहने लगा और वह जमीन पर गिर पड़े। बलराम की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या फायरिंग रेंज के इतने पास व्यावसायिक निर्माण किया जा सकता है?