भोपाल। केंद्र सरकार के मुताबिक कोराना से बचाव के लिए टीकाकरण शुरू होने के पहले तीन हफ्ते में ही  मुताबिक देश भर में अब तक 50 लाख से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना के टीके लगाए जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने यह जानकारी राज्यसभा में दी है। लेकिन दूसरी तरफ ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि फ्रंट लाइन वर्कर्स टीकाकरण के दौरान भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन लगवाने में अब भी हिचक रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनकी इस हिचक की वजह ये है कि कोवैक्सीन लगाने के लिए भरवाए जाने वाले सहमति पत्र (consent form) में साफ बताया गया है कि इस टीके का तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है।

भोपाल में सोमवार से जारी कोरोना वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में भी इसी तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं। इस फेज में फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीका लगाया जा रहा है, जिनमें पुलिस, रेवेन्यू और नगर निगम के कर्मचारी शामिल हैं। लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारी टीका लगवाने से मना कर रहे हैं। जिसकी वजह से टीकाकरण का प्रतिशत कम होता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जब हेल्थ केयर वर्कर्स का टीकाकरण हुआ था तब पहले दिन 63 प्रतिशत टीकाकरण हुआ था, जबकि फ्रंट लाइन वर्कर्स का पहले दिन का प्रतिशत केवल 38 आया है।

मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिकम मध्य प्रदेश में हेल्थ केयर वर्कर्स को आमतौर पर कोविशील्ड की वैक्सीन ही लगाई गई थी। जबकि फ्रंट लाइन वर्कर्स को कहीं कोविशील्ड तो कहीं कोवैक्सीन लगाई जा रही है। बताया जा रहा है कि कोवैक्सीन का डोज़ देने से पहले एक सहमति पत्र भरवाया जा रहा है, जिसमें लिखा है कि इस वैक्सीन का तीसरे ट्रायल अभी चल रहा है। फिलहाल इसका इमरजेंसी यूज किया जा सकता है। खबर है कि इसी कन्सेंट फॉर्म की वजह से लोग कोवैक्सीन लगवाने से हिचक जाते हैं। मध्य प्रदेश के एडीजी साई मनोहर ने भी मीडिया से बातचीत में लोगों में टीका लगवाते समय झिझकने की बात मानी है। हालांकि इसके साथ ही वो ये भी मानते हैं कि वक्त के साथ-साथ हालात में सुधार होगा।