भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कारम डैम निर्माण में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने के लेकर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने सीएम चौहान के कार्यकाल को भ्रष्टाचारियों का स्वर्ण काल करार दिया है। राज्यसभा सांसद ने सीएम चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि किसान सबकुछ गवां बैठे हैं, उनके साथ न्याय कीजिए।

सीएम चौहान को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि, 'धार जिले में बने 300 करोड़ के कारम डैम में हुए भ्रष्टाचार पर अभी तक आपने कोई कार्रवाई नहीं कर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का मन बना लिया है। आपके कार्यकाल को भ्रष्टाचारियों का ‘‘स्वर्ण काल’’ माना जा रहा है। एक सप्ताह बाद भी न किसी पर FIR होकर गिरफ्तारी हुई है न ही किसी बड़े अधिकारी को निलंबित किया गया है। ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रूपये का निर्माण कार्य किस आधार पर दिया गया, इस मुद्दे पर भी सरकार की चुप्पी गहरे प्रश्न पैदा करती है।'

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पूर्व सीएम ने आगे लिखा कि, 'राज्य सरकार ने दिल्ली की ब्लैक लिस्टेड कंपनी को काम देने के साथ ही निर्माण कार्य की गुणवत्ता को पूर्व में ही संदिग्ध बना दिया था। बाद में कंपनी ने यह काम ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी को देकर भारी भ्रष्टाचार किया। ई-टेंडरिंग में आरोपित फर्म राजनैतिक संरक्षण पाकर मनमर्जी करती रही। कांग्रेस के स्थानीय विधायक पांचीलाल मेड़ा ने समय-समय पर घटिया निर्माण का मुद्दा सरकार के सामने उठाया पर गले-गले तक भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की है। क्या यही है भ्रष्टाचार के प्रति आपकी ज़ीरो टालरेंस नीति?'

कांग्रेस नेता ने नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि, 'टूट चुके डैम को फोड़कर आपने पानी निकालने का काम कर अपनी पीठ स्वतः से थपथपा ली है लेकिन उन किसानों की सुध नही ली है जिनके खेत की मिट्टी बह गई है। आप टकटकी लगाकर घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए हैं तो आपको यह जानकारी भी होगी कि कारम डैम में रिसाव के कारण वहां के किसानों के खेत में लगी फसल के साथ उपजाऊ मिट्टी तक बह चुकी है और खेतों में पत्थर भी बह कर आ गये है। जिससे उन किसानों को अत्याधिक नुकसान हो चुका है और जमीनें कंकड़ पत्थर में तब्दील हो गई है।'

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राज्यसभा सांसद ने कारम डैम के आस-पास के लोगों के हवाले से लिखा है कि, 'वे कई पीढियों से खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। पानी का बहाव इतनी तेज था कि उनके खेत में लगी फसल के साथ मिट्टी भी बह गई। पानी घरों में घुस गया जिससे घर का सारा सामान खराब हो गया है। सरकार द्वारा सर्वे तो किया जा रहा है परन्तु मुआवजा कब तक दिया जाएगा इसकी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। कोठिदा, भारूड़पुरा, फरसपुरा, सेमलीपुरा सहित कई गांवों में बेहद तबाही हुई है। खेत बहकर अस्तित्वहीन हो गये है। सब कुछ गवां बैठे किसानों और मजदूरों के सामन जीवन यापन का संकट है।'

उन्होंने आगे लिखा कि, 'मैं उम्मीद करता हूँ कि आपकी सरकार के माथे पर कलंक बने कारम डैम में हुए भारी भ्रष्टाचार के लिये दोषी शीर्ष अधिकारियों को निलंबित कर विभागीय जांच पश्चात सेवा से बर्खास्त किया जायेगा। इसी प्रकार कारम डैम के आसपास के प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को समयसीमा तय कर मुआवजा दिया जाए। उनके खेतों को पुनः समतल किये जाने के लिये सरकार की ओर से मिट्टी का परिवहन कर खेत पुनः खेती योग्य बनाये जाने के निर्देश दिये जाए। पीड़ित और प्रभावित किसानों के पुनर्वास के लिये सामान्य अनुदान के अलावा पृथक से विशेष पैकेज देकर उनके साथ न्याय किया जाए।'