मुरैना। मध्य प्रदेश में खाद संकट लगातार गहराता जा रहा है। ऐसा ही एक मामला राज्य के मुरैना जिले से सामने आई है। जिले में किसान रात से सुबह और सुबह से शाम तक खाद वितरण केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं। घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद कई किसानों को दो बोरियों से ज्यादा खाद नहीं मिल पा रही है। कुछ किसानों को तो अगले दिन फिर से लाइन में लगना पड़ता है।

किसानों की इस परेशानी के बीच खाद वितरण केंद्रों पर दलालों का बोलबाला है। ये दलाल डीएपी की एक बोरी 1350 रुपए की बजाय 1550 रुपए में बेच रहे हैं। वहीं, निजी रिटेलर्स भी किसानों से तय दाम से अधिक वसूली कर रहे हैं। दो रिटेल फर्मों के कालाबाजारी का वीडियो सामने आने के बाद प्रशासन ने दोनों के खिलाफ FIR दर्ज कर उनके लाइसेंस रद्द कर दिए थे लेकिन हालात अब भी जस के तस हैं।

पहला मामला किसान अंकित कसाना का है। कृषि उपज मंडी स्थित मुख्य खाद वितरण केंद्र पर किसान अंकित कंसाना और उसके साथी खाद लेने पहुंचे थे। सुबह से लंबी लाइन में लगे अंकित को तभी एक पंडित नामक शख्स मिला जिसने बिना किसी दस्तावेज और फिंगरप्रिंट के तत्काल खाद दिलाने का लालच दिया। उसने शर्त रखी कि 1350 रुपए की डीएपी की बोरी 1550 रुपए में मिलेगी। अंकित ने दाम घटाने की गुजारिश की लेकिन पंडित ने साफ मना कर दिया। बातचीत के दौरान वह किसी से खाद के सौदे की बात करता रहा। अंततः अंकित ने 12 कट्टे डीएपी के लिए 18,500 रुपए नकद दिए। यह पूरी डील कैमरे में कैद हो गई।

दूसरा मामला खाद रिटेलर्स रतिराम ट्रेडिंग कंपनी और राजेश ट्रेडिंग कंपनी के दलालों का है। इनका भी एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे किसानों से डीएपी और यूरिया तय दर से अधिक कीमतों पर बेच रहे थे। राजेश ट्रेडिंग कंपनी में यूरिया 340 रुपए और डीएपी 1650 रुपए प्रति बोरी में दी जा रही थी जबकि सरकारी रेट क्रमशः 270 और 1350 रुपए था। वहीं, रतिराम ट्रेडिंग कंपनी में यूरिया 350 रुपए और टीएसपी 1400 रुपए में बेची जा रही थी जो कि बाजार दर से लगभग 100 रुपए ज्यादा है।

जब ये वीडियो कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ तक पहुंचे तो उन्होंने दोनों रिटेलर्स के खिलाफ FIR दर्ज करवाई और लाइसेंस रद्द करने के आदेश दिए। इसके बावजूद ब्लैक मार्केटिंग नहीं थमी। दलालों ने अब नया तरीका अपनाया है। वे खाद वितरण केंद्रों के आसपास सक्रिय रहते हैं और किसानों को मदद के नाम पर तय रेट से अधिक पैसे लेकर खाद बेचते हैं। खासतौर पर वह दूर-दराज गांवों से आए किसानों को निशाना बनाते हैं।

कृषि उपज मंडी के मुख्य गोदाम प्रभारी अभिषेक शर्मा पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। उन्होंने केंद्र पर अपने नाबालिग बेटे को बिठाकर काम करवाया जबकि खुद वसूली में जुटे रहे। उनके केंद्र पर मैन्युअल पर्ची जारी करने की शिकायत भी सामने आई है जबकि कलेक्टर ने इसे पहले ही प्रतिबंधित कर मशीन से पर्ची देने के निर्देश दिए थे। अभिषेक शर्मा का ट्रांसफर पहले भी किया गया था लेकिन उसी दिन आदेश रद्द कर उन्हें वापस प्रभारी बना दिया गया। वीडियो सामने आने के बाद उन्होंने सफाई दी कि स्टाफ निजी काम से गया था इसलिए बेटे से काम करवाया गया। लेकिन किसानों का कहना है कि इसी केंद्र पर दलाल सबसे ज्यादा सक्रिय हैं।

जिले के लगभग हर वितरण केंद्र पर सुबह से किसानों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। कई किसान भूखे-प्यासे घंटों लाइन में खड़े रहते हैं फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। कई बार हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि किसानों के बीच झड़प भी हो जाते हैं। इसके चलते पुलिस को भी लाठीचार्ज करना पड़ता है। इन चीजों से कैलारस में नाराज किसानों ने नेशनल हाईवे 552 को जाम कर दिया था। किसानों का कहना है कि दिनभर लाइन में लगने के बाद मुश्किल से दो बोरी खाद मिलती है लेकिन अगर ब्लैक में खरीदो तो जितनी मांगो उतनी बोरी तुरंत मिल जाती है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जिले में खाद का उठाव पिछले साल से कहीं ज्यादा हुआ है। यूरिया 28,577 रुपए मैट्रिक टन से बढ़कर 31,877 रुपए मैट्रिक टन हो गया। डीएपी 7,534 रुपए से बढ़कर 12,829 रुपए मैट्रिक टन। वहीं, एपीके 5,843 रुपए से बढ़कर 16,635 रुपए मैट्रिक टन। जबकि, एसएसपी 1,102 रुपए से बढ़कर 3,361 रुपए मैट्रिक टन हो गया है। इसके बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल रही जिससे साफ है कि कहीं न कहीं वितरण प्रणाली में बड़ी गड़बड़ी है।

किसानों ने आरोप लगाया कि कालाबाजारी केवल दलालों का खेल नहीं बल्कि इसमें कई अधिकारी भी शामिल हैं। उनके मुताबिक, केंद्रों पर कर्मचारियों की मिलीभगत से खाद की बोरियां ब्लैक में बेची जा रही हैं जबकि असली जरूरतमंद किसान खाली हाथ लौट रहे हैं। किसानों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि खाद वितरण की निगरानी सख्ती से की जाए और ब्लैक मार्केटिंग पर तुरंत रोक लगे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। उनका कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो अगली फसल की बुआई पर असर पड़ सकता है।