नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में अडाणी समूह को आवंटित कोल माइंस को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने अडानी समूह पर बगैर परमिशन जंगल उजाड़ने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने इस FRA और PESA का उल्लंघन करार दिया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, 'मध्य प्रदेश के धिरौली में मोदानी ने अपनी कोयला खदान के लिए सरकारी और वनभूमि पर पेड़ काटना शुरू कर दिया है। जंगलों की यह कटाई बिना स्टेज-II फॉरेस्ट क्लियरेंस के और वनाधिकार अधिनियम, 2006 (FRA) व PESA, 1996 का घोर उल्लंघन करते हुए। गाँववाले, जिनमें ज़्यादातर अनुसूचित जनजाति समुदाय और यहाँ तक कि एक विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूह (PVTG) शामिल हैं, इसका उचित ही विरोध कर रहे हैं।'

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह कोयला ब्लॉक पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है, जहाँ आदिवासी अधिकार और स्वशासन के प्रावधान संवैधानिक रूप से सुरक्षित हैं। इन संरक्षणों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है - ग्राम सभा से कोई परामर्श नहीं किया गया, जबकि पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय स्पष्ट रूप से ग्राम सभा की सहमति को अनिवार्य ठहराते हैं।उन्होंने कहा कि वनाधिकार अधिनियम, 2006 के अनुसार, वनभूमि को गैर-वन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने का फ़ैसला ग्राम सभाएँ करती हैं। लेकिन इस मामले में ग्राम सभा की मंजूरी को दरकिनार किया गया प्रतीत होता है।

जयराम रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लगभग 3,500 एकड़ प्रमुख वनभूमि के डायवर्ज़न के लिए स्टेज-II अनुमति अभी तक नहीं मिली है - फिर भी मोदानी ने वनों की कटाई शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के कारण पहले उजड़े परिवारों को अब फिर से बेदखली का सामना करना पड़ रहा है - यानी दोहरा विस्थापन। रमेश के मुताबिक इस परियोजना के लागू होने से महुआ, तेंदू, औषधियाँ, ईंधन लकड़ी - सब कुछ समाप्त हो जाएगा। इसका सीधा असर आदिवासी समुदायों की आजीविका पर पड़ेगा।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वन सिर्फ़ आजीविका ही नहीं हैं, बल्कि स्थानीय आदिवासी समूहों के लिए आस्था और संस्कृति का प्रतीक हैं। क्षतिपूरक वनरोपण इसका कोई वास्तविक या पारिस्थितिक विकल्प नहीं हो सकता। मोदी सरकार ने यह आवंटन 2019 में ऊपर से थोप दिया था, और अब 2025 में आवश्यक कानूनी मंजूरी के बिना ही इसे तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदानी अपने आप में एक अपभ्रंश है।

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इस लूट में एमपी बीजेपी भी शामिल है। पटवारी ने एक्स पोस्ट में लिखा, 'कुर्सी बचाने में जुटे मोहन यादव को यह समझना ही पड़ेगा कि धिरौली की ज़मीन और जंगल सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं हैं, ये बल्कि आदिवासी समाज की आजीविका, संस्कृति और आस्था का आधार हैं। गैरकानूनी यह भी है कि मोदी सरकार और अडानी मिलकर, संरक्षित वन भूमियों पर बुलडोज़र चला रहे हैं, वह भी बिना मंजूरी और ग्राम सभा की अनुमति के! क्योंकि, इस लूट में मध्य प्रदेश भाजपा शामिल है!

पटवारी ने पूछा कि क्या सच नहीं है कि यह पांचवीं अनुसूची क्षेत्र है, जहां आदिवासी अधिकारों पर संविधान का विशेष संरक्षण है। FRA और PESA क़ानून साफ़ कहते हैं ग्राम सभा की मंज़ूरी अनिवार्य है। लेकिन भाजपा सरकार ने लोकतंत्र को कुचलते हुए आदिवासियों की आवाज़ को दरकिनार कर दिया है! सरकारी दस्तावेजों में दर्ज सच को दबा दिया। यह संविधान के मौलिक अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है। मोदी मित्र के मुनाफ़े के लिए आदिवासी परिवारों को दोबारा उजाड़ा जा रहा है। यह सिर्फ ज़मीन की चोरी नहीं, बल्कि हक़ और सम्मान की भी लूट है।कांग्रेस आदिवासी समाज के संघर्ष के साथ खड़ी है! क्योंकि, यह लड़ाई सिर्फ़ जंगल और ज़मीन बचाने की नहीं, बल्कि संविधान और जनतंत्र बचाने की भी है।