भोपाल। राज्य में नए कर्मचारियों को कोरोना काल में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। यहां तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के नए कर्मचारियों सैलरी में भारी कटौती की जा रही है। जबकि यूपीएससी और पीएससी से भर्ती हुए अफसरों को पूरी सैलरी दी जा रही है। शिवराज सरकार के इस दोहरे पैमाने से को लेकर नए कर्मचारियों में राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा दिखाई दे रहा है।

दरअसल राज्य में सीधी भर्ती और अनुकंपा से भर्ती हुए 5000 तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती की जा रही है। ऐसा करके राज्य सरकार ने फरवरी से नवंबर के बीच 500 करोड़ रुपये की बचत की है। लेकिन इस दौरान अखिल भारतीय सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की नई भर्तियों के मामले में प्रोबेशनरी पीरियड में भी 100 फीसदी भुगतान किया गया है। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने अगले दो साल तक नए कर्मचारियों के वेतन में कटौती की योजना भी बना ली है। ऐसा करके राज्य सरकार 1000 करोड़ रुपये बचाना चाहती है।

अफसरों और कर्मचारियों के बीच ऐसे भेदभाव का पहला मामला

प्रदेश में यह पहला मामला है जब अफसरों और कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के मामले में ऐसा भेदभाव किया जा रहा है। राज्य सरकार की इस नीति के तहत नॉन पीएससी यानी विभागाध्यक्षों द्वारा भर्ती किए गए कर्मचारियों को तीन साल तक पूरा वेतन नहीं मिल पाएगा। चौथे साल में जाकर उन्हें पूरी तनख्वाह मिलनी शुरू होगी। सरकार ने इसके लिए जो फॉर्मूला बनाया है, उसके तहत कर्मचारियों को पहले साल में सिर्फ 70 फीसदी वेतन मिलेगा। दूसरे साल में 80 फीसदी और तीसरे साल में 90 फीसदी वेतन का भुगतान किया जाए। भर्ती किए जाने के चौथे साल में उन्हें पहली बार 100 फीसदी यानी पूरा वेतन मिल पाएगा। इन तीन सालों में हर कर्मचारी को औसतन 2.50 लाख रुपये का नुकसान होगा।

नए कर्मचारियों को होगा भारी नुकसान

नए कर्मचारी पूरे सेवाकाल में 2019 में भर्ती हुए कर्मचारी की बराबरी कभी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि 2019 में भर्ती हुए कर्मचारियों की ज्वाइनिंग की तारीख से पूरा वेतन मिल रहा है। इतना ही नहीं उन्हें हर साल 3 फीसदी वेतनवृद्धि का लाभ भी मिल रहा है। वहीं जो कर्मचारी 2020 में भर्ती हुए हैं उन्हें यह लाभ भर्ती होने के चार साल बाद मिलेगा। नए कर्मचारियों को तीन साल तक काफी नुकसान होगा, जिसकी भरपाई उनके पूरे सेवाकाल में नहीं हो पाएगी। 

अफसरों के वेतन में भी कटौती की मांग

राज्य अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अगर कर्मचारियों की तनख्वाह में इस तरह कटौती की जा रही है, तो अफसरों पर भी यही फॉर्मूला लागू किया जाए। फरवरी 2020 के बाद अखिल भारतीय सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा से भर्ती होने वाले अफसरों के वेतन में भी कटौती लागू हो। 

मध्य प्रदेश सरकार का हैरान करने वाला फॉर्मूला

शिवराज सरकार का सिर्फ तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के नए कर्मचारियों के वेतन में कटौती लागू करने का यह फॉर्मूला वाकई हैरान करने वाला है। मंदी या लॉकडाउन के दौरान अगर किसी निजी कंपनी में भी वेतन कटौती लागू की जाती है, तो कम वेतन पाने वालों के पैसे या तो नहीं कटते हैं या बहुत कम कटते हैं। इसके पीछे तर्क यह होता है कि जिनकी आय पहले से कम है, उन्हें वेतन कटौती होने पर ज्यादा मुश्किल होगी। आमतौर पर जिनका वेतन ज्यादा होता है, कटौती पहले उन पर लागू की जाती है। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने तो बिलकुल उल्टा ही तरीका अपनाया है, जो बेहद हैरान करने वाला है।