भोपाल। मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की साख पर गहरा सवाल खड़ा करने वाला मामला सामने आया है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ग्वालियर ने एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो फर्जी डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) की डिग्री बनाकर लोगों को सरकारी शिक्षक बनवा रहा था। इस मामले में आठ सरकारी शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया है जो मुरैना, शिवपुरी, ग्वालियर और इंदौर जिलों में पदस्थ थे। जांच में सामने आया है कि इन फर्जी शिक्षकों की भर्ती शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से संभव हुई है।

एसटीएफ को इस घोटाले की जानकारी एक गोपनीय शिकायत के माध्यम से मिली थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कई व्यक्तियों ने डीएड की फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी हासिल कर ली है और फिलहाल सेवा में कार्यरत हैं। इस शिकायत के बाद एसटीएफ ने जांच शुरू की जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

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शिकायत की गंभीरता को देखते हुए एसटीएफ ने उप पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार बघेल के नेतृत्व में पांच सदस्यीय विशेष टीम गठित की। टीम ने 34 शिक्षकों की डीएड अंकसूचियों का सत्यापन किया तो यह पाया गया कि इन प्रमाणपत्रों को संबंधित शिक्षा कार्यालयों ने जारी ही नहीं किया था। जांच में यह भी सामने आया कि शिक्षकों द्वारा जमा किए गए वेरीफिकेशन सर्टिफिकेट भी फर्जी थे और विभागीय अधिकारियों की ओर से जारी नहीं किए गए थे।

एसटीएफ ने लंबी जांच के बाद ग्वालियर जिले के गंधर्व सिंह, साहब सिंह, बृजेश, महेंद्र सिंह, लोकेन्द्र सिंह, रूबी, रविन्द्र सिंह और अर्जुन सिंह के खिलाफ भोपाल स्थित एसटीएफ थाने में एफआईआर दर्ज कर ली है। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इन शिक्षकों की फर्जी मार्कशीट एक संगठित गिरोह द्वारा तैयार की गई थीं जो शिक्षा विभाग में मौजूद कुछ अंदरूनी लोगों की मदद से इन फर्जी दस्तावेजों को वैधता दिलवाता था। एसटीएफ के अनुसार, यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और कई अभ्यर्थियों को फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक बनवा चुका था।

वर्तमान में गिरफ्तार किए गए आठ शिक्षकों के अलावा 26 अन्य शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच जारी है। इनकी मार्कशीट भी संदिग्ध पाई गई हैं और जल्द ही इनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा। एसटीएफ के अनुसार, इस नेटवर्क के तार प्रदेश के कई जिलों में फैले हो सकते हैं और जांच का दायरा अब उन अधिकारियों तक बढ़ाया जा रहा है जिन्होंने इन फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति में सहयोग किया है। विभागीय स्तर पर भी शिक्षा विभाग से संबंधित रिकॉर्ड और नियुक्ति फाइलें खंगाली जा रही हैं।

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