जबलपुर। बुधवार को जबलपुर हाई कोर्ट ने राज्य में निजी स्कूलों द्वारा की जा रही जबरन फीस वसूली के खिलाफ सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश अजय कुमार मित्तल और न्यायाधीश संजय द्विवेदी  की युगलपीठ ने तमाम याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस मामले पर राज्य सरकार,सीबीएसई और माध्यमिक शिक्षा मंडल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट में दाखिल तमाम याचिकाओं में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली और ऑनलाइन क्लास पर रोक लगाने की मांग की गई है। कोर्ट ने 22 जुलाई तक राज्य सरकार,सीबीएसई और माध्यमिक शिक्षा मंडल को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। 

Corona के समय जब क्‍लास नहीं लग रही हैै तब राज्य भर में निजी स्कूल, स्कूलों में पढाई न होने के बावजूद छात्रों और अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। इसी के विरुद्ध जबलपुर निवासी पीजी नाजपाण्डेय और रजत भार्गव ने जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर निजी स्कूलों द्वारा की जा रही जबरन फीस वसूली पर रोक लगाने की मांग की थी। 7 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए जबलपुर उच्च न्यायालय ने ग्वालियर और इंदौर हाई कोर्ट में जबरन फीस वसूली से जुड़े हुए तमाम मामलों को जबलपुर ट्रांसफर करने के निर्देश दिए थे।

जबलपुर हाई कोर्ट और इंदौर खंडपीठ के फैसले में अंतर्विरोध 
पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का कोर्ट में पक्ष रख रहे वकील दिनेश उपाध्याय ने मामले की  सुनवाई कर रही मुख्य न्यायधीश अजय कुमार मित्तल और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगलपीठ को बताया था कि एक तरफ जहां जबलपुर हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क के अलावा अन्य किसी भी तरह की फीस वसूली पर अंतरिम रोक लगा रखी है। तो वहीं दूसरी तरफ हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने निजी स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क (ट्यूशन फीस) के अलावा अन्य शुल्क नहीं वसूलने वाले आदेश पर रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि इंदौर बेंच ने राज्य सरकार के उस फैसले पर रोक लगाई थी जिसमें राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को केवल शिक्षण शुल्क ही लेने के आदेश दिए थे। 
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने जबलपुर मुख्यपीठ के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि एक ही मामले पर यह दोनों ही आदेश विरोधाभासी हैं। ऐसे में मुख्य न्यायधीश अजय कुमार मित्तल ने राज्य की दोनों ही खंडपीठ में इससे संबंधित चल रहे तमाम मामलों को जबलपुर ट्रांसफर करने के लिए कहा था। आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार, सीबीएसई और माध्यमिक शिक्षा मंडल को 22 जुलाई को अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।