भोपाल। राजधानी में शनिवार को रेमडेसिविर इंजेक्शन को पाने के लिए लोग दर दर की ठोकरें खाते रहे। इंजेक्शन के आने की खबर लगते ही लोग दवा मार्केट पहुंचे। करीब हज़ार की संख्या में लोगों की भीड़ इंजेक्शन लेने पहुंची थी। इंजेक्शन पाने को लेकर इतनी मारामारी थी कि लोगों को हटाने के लिए पुलिस बुलाने तक की नौबत आन पड़ी। 

राजधानी के दवा मार्केट में एक घंटे के भीतर ही लोगों की भीड़ लग गई। लोग पिछले दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन जब लोग इंजेक्शन लेने पहुंचे तब उन्हें पता चला कि यहां से इंजेक्शन सीधे अस्पताल ले जाए जाएंगे। लोग दर दर भटकते रहे लेकिन उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला। 

अपने बीमार छोटे भाई के लिए इंजेक्शन लेने आए पवन जैन ने एक हिंदी अखबार को बताया कि उनका 19 वर्षीय भाई राजकुमार जैन पिछले दो दिनों से महावीर मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। 75 फीसदी उस इन्फेक्शन हो चुका है, अगर उसे इंजेक्शन नहीं मिला तो वो मर जाएगा। यही हाल भोपाल में रहने वाले डॉक्टर पीसी शर्मा का भी है। उनकी बुज़ुर्ग मां बुधवार से अस्पताल में भर्ती हैं।लंग्स में तीस फीसदी इन्फेक्शन है। शर्मा के मुताबिक वे इंजेक्शन के लिए इंदौर भी गए थे, लेकिन वहां पर भी इंजेक्शन नहीं मिला। 

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इंजेक्शन के इंतज़ार और बीमारियों से जूझ रहे लोगों के बीच सरकार का इंजेक्शन को लेकर अलग ही रुख देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि इंजेक्शन से न तो किसी की मौत रुक सकती है और न ही इससे इलाज हो सकता है। सुलेमान का कहना है कि इस इंजेक्शन को लेकर काफी कंफ्यूजन है। फिर भी इमरजेंसी में डॉक्टर की सलाह पर इसका उपयोग किया जा रहा है। वहीं प्रदेश में हो रही ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुलेमान ने कहा कि चूंकि मध्यप्रदेश का अपना कोई ऑक्सीजन प्लांट नहीं है। उत्पादन शुरू करने में अभी दो वर्षों का समय और लगेगा।