जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में पॉवर का दुरुपयोग करना एक तहसीलदार को भारी पड़ गया। जबलपुर की आधारताल तहसील के तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे को गिरफ्तार कर लिया गया है। धुर्वे पर फर्जी वसीयत बनाकर करोड़ों की जमीन हड़पने का आरोप है। मामले में धुर्वे के अलावा पटवारी जागेंद्र पिपरे समेत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।



यह पूरा मामला अधिकारों के दुरुपयोग, सुनियोजित षड्यंत्र और कूट रचना कर भूमि नामांतरण आदेश पारित करने का है। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर यह एफआईआर अनुभागीय राजस्व अधिकारी शिवाली सिंह द्वारा विजय नगर थाने में दर्ज कराई गई। इस प्रकरण में तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य आरोपियों में कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे, रविशंकर चौबे, अजय चौबे, हर्ष पटेल और अमिता पाठक के खिलाफ भी केस दर्ज कर पूछताछ की जा रही है।





मामला ग्राम रैगवां की 1.1 हेक्टेयर भूमि का है, जहां पर करीब 50 वर्षों से शिवचरण पांडे का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज था। तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे ने अवैध रूप से नामांतरण करते हुए शिवचरण पांडे का नाम हटा दिया और श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज कर दिया। यह नामांतरण एक अपंजीकृत वसीयत के आधार पर किया गया, जो कथित रूप से 50 साल पुरानी थी और महावीर प्रसाद द्वारा निष्पादित की गई थी। 



जांच में यह पाया गया कि महावीर प्रसाद का नाम भूमि के राजस्व अभिलेखों में कभी दर्ज नहीं था, फिर भी उनकी कथित वसीयत के आधार पर यह अवैध नामांतरण किया गया। खोजबीन में पाया गया कि वसीयत के गवाहों और दस्तावेजों में भी कई अनियमितताएं थीं। गवाहों के शपथ पत्र नोटराईज़्ड थे, लेकिन उनके हस्ताक्षर अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों से मेल नहीं खाते थे। इसके अलावा, पटवारी जोगेंद्र पिपरे की रिपोर्ट को भी पक्षपाती और गलत पाया गया।



इस मामले में दीपा दुबे, जो कि आरोपियों में से एक और तहसील कार्यालय की कंप्यूटर ऑपरेटर हैं, के पिता श्याम नारायण चौबे का नाम भूमि पर दर्ज करवाया गया। तहसीलदार द्वारा इस तरह का आदेश पारित करना दुर्भावनापूर्ण माना गया, और उनके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के तहत केस दर्ज किया गया।