जबलपुर। गुरुवार को जबलपुर हाई कोर्ट में कोरोना काल में उठाए गए सरकारी कदमों की पोल खुल गई। कोरोना को नियंत्रित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा किए गए दावों के विपरित हाई कोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि दूसरी लहर में राज्य सरकार ने 204 वेंटिलेटरों का इस्तेमाल ही नहीं किया। यह सभी वेंटिलेटर सरकारी अस्पतालों के स्टोर रूम में बेकार पड़े रहे। 

वेंटिलेटर इस्तेमाल नहीं किए जाने का खुलासा हाई कोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दाखिल एक्शन टेकन रिपोर्ट में हुआ। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर इन वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता, तो बड़ी संख्या में हुई मौतों को रोका जा सकता था। कोर्ट ने इस मसले पर शिवराज सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। 

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य में कोरोना के इलाज के लिए अस्पतालों द्वारा लिए जा रहे चार्ज पर भी सवाल खड़े किए। हाई कोर्ट ने कहा कि कोरोना काल में जिस पर तरह से निजी अस्पतालों ने मरीजों से लूट की है, उसकी ऑडिट होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात का भी उल्लेख किया कि कई बड़े अस्पतालों में कोरोना की इलाज दरें सरकारी अस्पतालों से भी कम है। इसके साथ ही प्रदेश के कुल 52 ज़िलों में से 48 ज़िलों में सीटी स्कैन की व्यवस्था नहीं है।

हाई कोर्ट ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर भी चिंता जताई। हाई कोर्ट ने शिवराज सरकार से कहा कि तीसरी लहर से निपटने के लिए बड़े स्तर पर डॉक्टरों की नियुक्ति करना आवश्यक है। इन सभी मसलों पर मंथन करने के लिए हाई कोर्ट ने शिवराज सरकार को दस दिन की मोहलत दी है। हाई कोर्ट इस मसले पर अब 11 जून को सुनवाई करेगा। 

वहीं शिवराज सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दिए हलफनामे के मुताबिक प्रदेश में ब्लैक फंगस से अब तक 139 लोगों की मौत हुई है। पिछले दस दिनों में 87 मरीजों ने ब्लैक फंगस से अपनी जान गंवाई है। अब तक प्रदेश में ब्लैक फंगस के 1791 मामले सामने आए हैं। इनमें से 1000 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।