भोपाल। कोरोना संकट से जूझ रहे मध्यप्रदेश से बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश के करीब तीन हजार डॉक्टरों ने आज सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। हड़ताल के चौथे दिन डॉक्टरों ने सर्वसम्मति से आज फैसला लिया है कि वे सरकार के लिए काम नहीं करेंगे। इसके पहले हाईकोर्ट ने इन्हें 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने का निर्देश दिया था।



जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफा पत्र में लिखा है कि पिछले छः महीने से वे 6 सूत्री मांगे रख रहे हैं, लेकिन सरकार लगातार अपने जूनियर डॉक्टरों की अवहेलना कर रही हैं। उन्होंने लिखा, 'आखिर में विवश होकर हमें 31/05/21 से हड़ताल करनी पड़ी। लेकिन अब भी सरकार द्वारा बार बार अपमानित किया जा रहा है। इस अपमान के कारण ही हम सभी सामूहिक इस्तीफा दे रहे हैं।' 



दरअसल, कोरोना और ब्लैक फंगस के कहर के बीच मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर पिछले चार दिन से हड़ताल पर थे। प्रदेश के करीब तीन हजार डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर ड्यूटी करने से इनकार कर दिया था। वे सरकार से मानदेय बढ़ाने और कोरोना वायरस के चपेट में आने पर अपने और अपने परिवार के लिए मुफ्त इलाज की मांग कर रहे हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार ने उनकी मांगों को मानने के बजाए हड़ताल जारी रखने पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। 





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डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला ऐसे समय में लिया है जब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आज ही इस मामले की सुनवाई के दौरान उनके हड़ताल को अवैध करार दिया था। साथ ही कोर्ट ने उन्हें काम पर वापस लौटने के लिए 24 घंटे की मोहलत दी थी। कोर्ट ने जूडा की इस हड़ताल को ब्लैकमेलिंग करार देते हुए कहा कि डॉक्टर्स ने अपनी शपथ भुलाई लेकिन हम अपनी शपथ नहीं भूले हैं। कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर जूनियर डाक्टर्स 24 घंटों में कोविड ड्यूटी पर बहाल नहीं होते हैं तो सरकार उन पर सख्त कार्रवाई कर सकती है।