भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से 25 बच्चों की मौत के बाद अब राज्य सरकार हरकत में आई है। प्रदेश में अब कोई भी मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट के नहीं चलेगा। अगर ऐसा पाया जाता है तो संबंधित मेडिकल संचालक को जेल तक हो सकती है।
दरअसल, छिंदवाड़ा सिरप कांड के बाद राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की निगरानी को लेकर अब सरकार और नियामक एजेंसियां सख्त हो गई हैं। प्रदेश में हजारों मेडिकल स्टोर ऐसे हैं, जो बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट की मौजूदगी में दवाओं की बिक्री कर रहे हैं।
इस पर अब काउंसिल ने सभी अस्पतालों, फार्मेसियों और मेडिकल स्टोर्स को नोटिस जारी कर चेताया है कि किसी भी गैर-पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दवा का वितरण, भंडारण या बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि ऐसा पाया गया, तो संबंधित मेडिकल स्टोर या संस्था का पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा।
बता दें, एमपी फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने इसे लेकर राज्य फार्मेसी काउंसिल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल, भोपाल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 के तहत केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही दवाओं के वितरण या बिक्री में शामिल हो सकता है।
इसके अलावा बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन दवा बेचने पर भी रोक लगाई गई है। किसी भी गैर-पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दवा बेचना गैरकानूनी है। यह निर्देश भारत सरकार के पत्र क्रमांक 19-1/2023-PCI/3854-56 दिनांक 25 अक्टूबर 2023 के संदर्भ में जारी किए गए हैं। जिसके तहत लापरवाही मिलने पर संबंधित व्यक्ति पर दो लाख का जुर्माना या तीन महीने तक की सजा का प्रावधान है।
एमपी फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव अखिलेश त्रिपाठी ने 27 सितंबर को राज्य फार्मेसी काउंसिल को पत्र भेजा था, जिसमें बताया गया कि प्रदेश में हजारों मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट की उपस्थिति में संचालित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर प्रदेश में भी पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनिवार्यता सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। इसके बाद फार्मेसी काउंसिल ने सभी संस्थानों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।