भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन  से निपटने की तैयारी में जुटने का लाख दावा करे लेकिन ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं। प्रदेश के 38 से ज्यादा आक्सीजन प्लांट्स काम नहीं कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि मध्यप्रदेश में बीते 6 महीने में करीब 164 ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए गए हैं। लेकिन रखरखाव के अभाव और सही निर्माण नहीं होने की वजह से कई आक्सीजन प्लांट्स से आक्सीजन निर्माण नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए जंबो आक्सीजन सिलेंडर्स का उपयोग किया जा रहा है। खबरों की मानें तो आनन फानन में घोषणा करने के बाद उन जगहों में प्लांट लगा दिया गया है जहां इनकी जरुरत नहीं हैं।

सरकार ने घोषणा की थी 30 अक्टूबर तक राज्य में 202 आक्सीजन प्लांट स्थापित कर दिए जाएंगे। लेकिन केवल 164 का ही निर्माण किया जा सका। वहीं पिछले महीनों में कोरोना मरीजों की कम होती संख्या और ऑक्सीजन की डिमांड कम होने की वजह से प्लांट से ऑक्सीजन ना लेकर सिलेंडर के माध्यम से ऑक्सीजन मरीजों तक पहुंचाई जा रही थी। सरकारी अस्पतालों में लगे प्लांट की आक्सीजन सिलेंडर में भरने का कोई इंतजाम नहीं है। महंगें डिवाइस के जरिए ही प्लांट से आक्सीजन सिलेंडर्स में भरी जा सकती है, लेकिन सरकारी नियमों का हवाला देकर उनमें डिवाइस नहीं लगाया गया है। भोपाल के जेपी अस्पताल में दो प्लांट्स लगे हैं जिनकी क्षमता 1-1 हजार लीटर प्रति मिनट है। एक दिन में 200 मरीजों की आवश्यकता पूरी करने का दावा है। 

मुख्यमंत्री ने हाल ही में कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर सभी अस्पतालों में आक्सीजन जेनेरेशन प्लांट्स की स्थिति जांचने के निर्देश दिए गए थे। जिनमें से भोपाल, सीहोर, विदिशा, बुरहानपुर समेत अन्य जगहों पर मॉकड्रिल करके आक्सीजन की सप्लाई चेक की गई। दरअसल इनदिनों इस नए कोरोना वेरिएंट की वजह से लोग दहशत में हैं। इसे बारे मे कहा जा रह है कि यह नया वेरिएंट पहले से ज्यादा घातक है।  प्रदेश में मार्च 2020 तक किसी भी सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट नहीं था, लेकिन अब बड़ी संख्या में ऑक्सीजन प्लांट्स लगा दिए गए हैं। ये प्लांट्स सीहोर, आष्टा, रेहटी, विदिशा, सिरोंज, खरगोन ,बड़वाह, खुरई , कटनी, टीकमगढ़ और नरसिंहपुर, भोपाल, जबलपुर समेत अन्य जिलों में लगाए गए हैं।

प्रदेश के  विभिन्न अस्पतालों में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट में से 88 प्रधानमंत्री केयर फंड और 13 मुख्यमंत्री राहत कोष और कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलटी से लगाए गए हैं। वहीं कई जिलों में स्थानीय लोगों के प्रयासों से कई प्लांट्स स्थापित हुए हैं। दावा किया गया था कि कुल 221 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकेगा. वहीं ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स से सीधे मरीजों तक उपलब्ध कराई जा सकेगी। लेकिन रखरखाव के अभाव से कई प्लांट्स बदहाल है मरीजों की संख्या बढ़ने से पहले इनके सुधार के निर्देश दिए गए हैं।