कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में पूरी दुनिया कोरोना की दवा और टीका खोजने में जुटी है मगर अब तक किसी को ठोस सफलता नहीं मिली है। ऐसे में इंदौर के कलेक्‍टर मनीष सिंह के आदेश पर कोरोना के मरीजों पर बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की दवाओं का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। इस अनुमति के बाद राज्य में सियासी हड़कंप मचा हुआ है। विपक्ष ने कहा है सरकार रामदेव को मुनाफा पहुंचाने की जगह हालात सुधारने पर ध्यान दे। इसे विशेषज्ञ भी सरकार का गैर जिम्‍मेदार कदम बता रहे हैं।



20 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान योग गुरु रामदेव से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मुखातिब हुए थे। उन्होंने रामदेव से कोरोना से बचाव को लेकर संवाद किया था। इसके बाद इंदौर के कलेक्‍टर मनीष सिंह ने कोरोना के मरीजों पर पतंजलि की दवाओं का ट्रायल शुरू करने की इजाजत दे दी।



टेस्ट से पहले डीसीजीआई  की अनुमति ली?: दिग्विजय सिंह 



मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रशासन को इस मसले पर घेरा है। दिग्विजय सिंह ने पूछा है कि क्या पतंजलि की दवाओं को कोरोना मरीजों के ऊपर टेस्ट किए जाने से पहले डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) की अनुमति ली गई थी? अगर नहीं तो क्या यह नियमों का उल्लंघन और उसकी अनदेखी नहीं की जा रही? ऐसे कृत्यों के ऊपर क्या कारवाई नहीं की जानी चाहिए? ये सब मरीजों की जान को ताक पर रख कर नहीं किया जा रहा? दरसअल तमाम नई दवाओं को मरीजों के उपर जांचे जाने से पहले एक प्रोटोकॉल और नियम के तहत डीसीजीआई की रजामंदी अनिवार्य है।





कलेक्‍टर ने कैसे दे दी अनुमति?



पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन के कुछ अधिकारियों से बात करने के बाद उन्हें यह जानकारी मिली की राज्य सरकार की ओर से ऐसे कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में इंदौर कलेक्टर द्वारा दवाओं का मरीजों के ऊपर बिना किसी अनुमति के इस्तेमाल किए जाने का निर्देश देना संदेहास्पद लग रहा है।



लोगों की जिंदगी खतरे में डाली



सीपीआई (एम) की मध्य प्रदेश इकाई ने इस मसले पर सरकार को आड़े हाथों लिया है और इंदौर के कलेक्टर को हटाने की मांग की है। योग गुरु बामा रामदेव के साथ की गई सीएम की चर्चा पर सवाल उठाते हुए सीपीआईएम के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने सीएम को बाबा रामदेव की अप्रमाणित दवाओं की अनुमति देने को राज्य के नागरिकों की ज़िंदगियां ख़तरे में डालने जैसा बताया है। अगर सरकार रामदेव के व्यापार की चिंता करने की बजाय, अस्पतालों की हालत , डॉक्टरों और नर्सों को पीपीई किट मुहैया कराने के ऊपर ध्यान देगी तो यह प्रदेश की जनता के हित में होगा।



दवाओं की जांच पहले जानवरों पर की जाती है



सीपीआईएम ने सरकार की अवैज्ञानिकता पर सवाल उठाते हुए यह याद दिलाने की कोशिश है कि दवाओं का प्रयोग इंसानों के ऊपर करने से पहले चूहों, पिग्स, गिनी जैसे आदि जानवरों पर किए जाते हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम संवेदनहीनता की पराकाष्ठा प्रतीत होता है। सीपीआईएम मध्य प्रदेश में राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने शिवराज सरकार के ऊपर तंज कसते हुए कहा है कि सरकार रामदेव की कम्पनी और रामदेव को प्रदेश की जनता से पैसे ठगने के इजाज़त देने के बनिस्बत कोरोना के फैलते प्रकोप के रोकथाम के लिए काम करे तो ज़्यादा बेहतर होगा। साथ ही सीआईपीएम ने इंदौर के कलेक्टर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग भी की है, जिसने रामदेव की दवाओं को इस्तेमाल करने की अनुमति दी है।



विशेषज्ञों ने भी उठाए सवाल



जनता की जान मुश्किल में डालने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस इरादे की मेडिकल/ सोशल एक्टिविस्ट हरजीत सिंह भट्टी ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आलोचना की है। हरजीत सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, "मैंने अपना एमबीबीएस जबलपुर के ही एक सरकारी कॉलेज से किया है। मैं अपने बहुतेरे ऐसे सीनियर डॉक्टरों को जानता हूं जो वाकई कहीं ज़्यादा योग्य हैं। यह बेहद ही शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री ऐसे व्यापारी की मदद मांग रहे हैं, जो अपने मुनाफे के लिए लोगों को गुमराह कर सकता है। सीपीआईएम ने भी शिवराज सरकार के ऊपर रामदेव के व्यापार को फ़ायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है।