भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने मंडी टैक्स में कटौती का बड़ा फैसला किया है। मंडियों में अब 100 रुपये के अनाज की ई-खरीद पर सिर्फ 50 पैसे टैक्स मंडी लगेगा। अभी तक यह टैक्स डेढ़ रुपये था। इसके साथ ही राज्य सरकार ने निराश्रित निधि के रूप में लगने वाले 20 पैसे के टैक्स को भी समाप्त कर दिया है। इस तरह मंडी में खरीद-बिक्री करने वालों को 1 रुपए 20 पैसे की राहत दी गई है।

शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि मंडी टैक्स में छूट के प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद छूट संबंधी आदेश जारी कर दिया जाएगा। दरअसल अक्टूबर में मंडी व्यापारियों की लंबी हड़ताल को खत्म कराने के लिए शिवराज सरकार ने उप-चुनाव से पहले मंडी टैक्स को डेढ़ रुपये से घटाकर पचास पैसे करने का वादा किया था। सरकार का ताज़ा फैसला उसी वादे को पूरा करने की दिशा में लिया गया है। नए फैसले के लागू होने के बाद व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी। सौ रुपये की खरीद पर उन्हें डेढ़ रुपये की जगह 0 पैसे ही टैक्स चुकाना होगा।

क्या है पूरा मामला

दरअसल केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के लागू होने पर कृषि उपज को मंडियों से बाहर सीधे खरीदने-बेचने जाने की छूट मिल गई है। इस तरह की खरीद-बिक्री पर कोई टैक्स नहीं है, जबकि मंडी समितियों में खरीद-बिक्री पर डेढ़ रुपये टैक्स लग रहा था। इससे मंडी में कारोबार खत्म होने का खतरा था। दूसरी तरफ मंडी टैक्स अगर पूरी तरह खत्म कर दिया जाता तो मंडियों का खर्च नहीं निकल पाता। ऐसे में मंडी के व्यापारी इस टैक्स को कम करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर ऐसा नहीं किया गया, तो केंद्र के नए कृषि कानूनों के लागू होने पर कृषि मंडियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। मंडी व्यापारियों के साथ ही साथ किसान और मंडियों में काम करने वाले मज़दूर भी इसे लेकर आशंकित थे।

इसी माहौल में मंडी व्यापारियों ने सितंबर-अक्टूबर के दौरान बारह दिन लंबी हड़ताल की थी। जिसे खत्म कराने के लिए राज्य सरकार ने मंडी टैक्स घटाने का वादा किया था। अब मंडी टैक्स घटने से मंडी समितियों की दिक्कतें कुछ कम हो जाएंगी। हालांकि समिति से बाहर खरीद-बिक्री की छूट मिलने से कृषि कारोबार पर बड़े कॉरपोरेट का कब्ज़ा होने का जो डर ज़ाहिर किया जा रहा है, वो अब भी बना हुआ है। छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब की कांग्रेस सरकारों ने अपने किसानों और मंडियों को बचाने के लिए केंद्र के कानूनों को बेअसर करने वाले नए विधेयक पारित कर दिए हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने की वजह से यहां के किसानों-मज़दूरों और मंडी व्यापारियों को ऐसी कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में उन्हें एक रुपये की इस राहत से ही संतोष करना होगा।