नई दिल्ली/भोपाल। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने देश भर की 157 यूनिवर्सिटीज को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। इसमें 108 सरकारी यूनिवर्सिटीज, 47 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज और 2 डीम्ड यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। इनमें मध्य प्रदेश की भी 16 यूनिवर्सिटी शामिल हैं। UGC ने यह कार्रवाई यूनिवर्सिटीज में लोकपाल नियुक्त नहीं किए जाने के कारण हुई है।

UGC की तरफ से जारी की गई डिफॉल्टर यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में मध्य प्रदेश का स्थान पहले नंबर पर है। राज्य की जिन 16 यूनिवर्सिटीज को डिफॉल्टर घोषित किया गया है उनमें 7 सरकारी और 9 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि डिफॉल्टर की सूची में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भी है। विश्वविद्यालय ने कुलपति केजी सुरेश ने यूजीसी के इस कदम को ‘दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया है।

MCU के केजी सुरेश ने मीडिया से कहा कि लोकपाल के पद पर एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति के बावजूद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा उनके विश्वविद्यालय को डिफॉल्टर करार देना दुर्भाग्यपूर्ण है। यूजीसी द्वारा प्रदत्त दिशा निर्देशों के तहत सुनरया लोकपाल के पद पर नियुक्त किए गए हैं। उन्हें छह जून को लोकपाल नियुक्त किया गया था और उन्होंने अगले दिन कार्यभार संभाल लिया था। हमने सात जून को अधिसूचना जारी की और 13 जून को यूजीसी को सूचित किया, लेकिन हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि 19 जून को यूजीसी द्वारा जारी सूची में हमारे विश्वविद्यालय का भी नाम था।

प्रोफेसर सुरेश ने कहा कि उन्होंने यूजीसी सचिव को पत्र लिखकर एमसीयू को सूची से हटाने के बाद उसे अद्यतन करने का अनुरोध किया है। बता दें कि राज्य के जिन शासकीय यूनिवर्सिटी को डिफॉल्टर घोषित किया गया है उनमें राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, म्यूजिक एंड आर्ट्स यूनिवर्सिटी, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू कृषि यूनिवर्सिटी और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी भी शामिल है।

दरअसल, यूजीसी के निर्देश के अनुसार, सभी यूनिवर्सिटी में लोकपाल की नियुक्ति जरूरी है। वहीं डिफॉल्टर लिस्ट में शामिल यूनिवर्सिटीज ने इस मापदंड का पालन नहीं किया है। लोकपाल यूनिवर्सिटी में छात्रों की समस्या का समाधान करता है।