भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को महेश्वर जल विद्युत परियोजना के मुद्दे पर विपक्ष का रुख हमलावर रहा। पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं कसरावद से कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने इस परियोजना में हो रही देरी को लेकर भाजपा सरकार को घेरा। यादव ने महेश्वर जल विद्युत परियोजना के अधूरेपन और उससे जुड़े जनसरोकारों को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। सचिन यादव ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह परियोजना 35 वर्ष पूर्व शुरू की गई थी और इसमें जनता की लगभग 3,000 करोड़ रुपये की राशि व्यय हो चुकी है।
सचिन यादव ने कहा कि वर्तमान में इसकी कीमत 9,500 करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी है, बावजूद इसके यह परियोजना बंद पड़ी हुई है और इससे जुड़े लगभग 10,000 परिवार व सैकड़ों कर्मचारी आज भी अनिश्चितता में बदहाली का जीवन यापन कर रहे हैं। यादव ने कहा कि यह मामला जनता की गाढ़ी कमाई और उनके जीवन के साथ सीधा अन्याय है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट नीति, समयबद्ध कार्रवाई और प्रभावितों को न्याय देने की मांग की। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मामले में शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो यह मुद्दा जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
यादव द्वारा उठाए गए प्रमुख बिंदु
1. डूब प्रभावित सैंकड़ों गांव आज भी पुनर्वास और मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
2. प्रभावितों को आवासीय प्लॉट आवंटित तो किए गए हैं लेकिन आज तक उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है।
3. परियोजना के कर्मचारियों व अधिकारियों को वेतन नहीं मिला, जिससे अधिकांश ने परियोजना स्थल छोड़ दिया है और वह अब लावारिस स्थिति में पड़ा है।
4. सरकार ने परियोजना से जुड़ी संपत्तियों की नीलामी की बात तो कही है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि उस राशि का उपयोग कहां और कैसे होगा।
5. परियोजना को 2020 में बंद घोषित किया गया, लेकिन यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या इसे पुनः प्रारंभ किया जाएगा या नहीं।
6. डूब प्रभावित क्षेत्रों को ग्राम पंचायतों को कब तक हस्तांतरित किया जाएगा और मूलभूत सुविधाएं कब तक पूरी होंगी कृ इन प्रश्नों का भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
7. यादव ने सरकार से पूछा कि इन गांवों के लिए कोई विशेष पैकेज देने की योजना है या नहीं।