उज्जैन। क्षिप्रा नदी में त्रिवेणी घाट के पास कई दिनों से हो रहे धमाकों की जांच GIS याने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम ने आज से शुरू कर दी है। GIS के अधिकारियों ने आज त्रिवेणी घाट के आसपास का जायजा लिया। जांच टीम ने नदी से पानी और उसकी तलहटी की मिट्टी के सैंपल भी लिए हैं। अब इनकी जांच की जाएगी। वैज्ञानिकों की मानें तो इसकी रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन का वक्त लगेगा। इस दौरान भूवैज्ञानिकों ने स्थानीय लोगों से चर्चा भी की। टीम का कहना है कि पहली नजर में यह घटना संदिग्ध है। मामले की पूरी जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।


 

पिछले कई दिनों यहां रुक रुक कर धमाके हो रहे थे। जिसके बाद यहां दहशत का माहौल था। धमाकों की वजह से लोगों के घाट या नदी में जाने पर रोक भी लगी हुई है। स्थानीय रहवासियों के मुताबिक इस त्रिवेणी घाट पर शुक्रवार और शनिवार को क्षिप्रा नदी धमाके के साथ धुआं निकला और चमकदार रोशनी दिखी और पलक झपकते हीं पानी उछलता हुआ नजर आया। ग्रामीणों की माने तो पहला धमाका पहला धमाका 26 फरवरी को हुआ था। उसके बाद से रोज तेज आवाज के साथ चमकदार रोशनी और पानी उछलने की घटना हो रही है।

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स्थानीय लोगों ने मामले की खबर पुलिस और स्थानीय प्रशासन को दी। जिसके बाद पीएचई ने अपने एक कर्मचारी को निगरानी के लिए तैनात किया था। जिसक बाद घटना का वीडियो पीएचई के अधिकारियों को दिखाया गया। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कुछ पलों तक तेज आवाज होती है, फिर उसके पास चमकदार आग नजर आती है। कई बार तेज आवाज के साथ पानी भी उछलता देखा गया है। लोगों का कहना है कि पानी कई बार 10-12 फीट की ऊंचाई तक उछलता देखा गया है।  

उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने GSI को पत्र लिखा था। जिसके बाद टीम जांच के लिए पहुंची है। शनिवार 13 मार्च को शनिश्चरी अमावस्या है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग पवित्रा क्षिप्रा नदी में स्नाने के लिए जाते हैं। उससे पहले यहां होने वाली भू-गर्भीय घटना को लेकर आसपास के इलाकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

क्षिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर हुए भूगर्भीय धमाके की वजह से लोगों में दहशत है। फिलहाल प्रशासन ने त्रिवेणी घाट के आस-पास लोगों के जाने पर रोक लगा दी है। यहां एक लोगों नदी में जाने से रोकने के लिए कर्मचारी को तैनात किया गया है। यह त्रिवेणी घाट विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर से करीब पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित है।