कृषि बिलों के विरोध में अकाली दल ने बीजेपी से नाता तोड़ने का ऐलान किया है। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की कोर कमेटी की मीटिंग के बाद अपना निर्णय सुनाया। करीब हफ्तेभर पहले सुखबीर बादल की पत्नी और एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने भी कृषि पर लाए गए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अपना इस्तीफा दे दिया था। तब उन्होंने कहा था कि अकाली दल किसान विरोधी कदम पर एनडीए का पार्टनर नहीं हो सकता।

हाल ही में समाप्त हुए संसद सत्र के दौरान सरकार ने The Farmers Produce Trade & Commerce (Promotion & Facilitation) Bill 2020 और The Farmers (Empowerment & Protection) Agreement बिलों को संसद से पास करा लिया। जिसे लेकर विपक्ष की जबरदस्त नाराज़गी देखने को मिली। अब सरकार को इसके राष्ट्रपति से अनुमोदन का इंतज़ार है। अकाली दल ने संसद में वॉयस वोट से पास हुए कृषि बिलों का भी विरोध किया था।

सुखबीर बादल ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कृषि अध्यादेश और फिर बिल पास कराने के संबंध में किसी भी कदम पर उनकी पार्टी से कोई मशविरा नहीं किया। आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल का बीजेपी और एनडीए के साथ पुराना गठबंधन रहा है। अकाली दल तेरह दिनों की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार का समर्थन करने वाली पहली पार्टियों में से रही है। प्रकाश सिंह बादल तो एनडीए के फाउंडर मेंमर्स में से एक रहे, लेकिन इस लंबे गठजोड़ का ऐसा लगता है कि एक अध्याय पूरा हुआ। 

अकाली दल ने ऐसे वक्त में बीजेपी का साथ छोड़ा है, जब पूरे देश में किसानों का जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। हाल ही में संसद से पास हुए कृषि बिलों के खिलाफ 25 सितंबर को सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा के किसानों ने ही सरकार विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। यहां तक कि महिलाओं और युवाओं ने भी बढ़चढ़कर विरोध किया। शिरोमणि अकाली दल को किसानों के विरोध का डर भी सता रहा है। पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार लगातार अकाली दल पर किसान विरोधी होने का आरोप लगा रही है।