दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत लगे सभी आरोपों को निरस्त कर दिया है और उनकी तुरंत रिहाई का भी आदेश दिया है। डॉ़. कफील खान 29 जनवरी 2020 से मथुरा की जेल में बंद हैं।  डॉ. कफील खान पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे देशव्यापी आंदोलन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 10 दिसंबर 2019 को भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था।

डॉक्टर कफील को अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाना में दर्ज एक मामले में 29 जनवरी को मुंबई हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के बाद खान को एक अदालत से जमानत मिल गई थी, लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनके ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एएसए लगा दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने अगस्त में इसी कानून के तहत उनकी हिरासत अवधि और बढ़ा दी थी। 

डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए उनकी मां नुजहत परवीन ने हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी और खान को अवैध तरीके से हिरासत में रखे जाने की दलील दी थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान डॉ. कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हुई कार्रवाई के मूल रिकॉर्ड देखे और तब यह फैसला लिया। कफील खॉान को जेल में कैद हुए लगभग 200 दिन हो चुके हैं।

डॉ. कफील ख़ान का नाम 2017 में तब सुर्खियों में आया था, जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। उनके ऊपर अपने कर्तव्यों के उचित निर्वहन ना करने का आरोप लगा था। हालांकि बाद में वो इन आरोपों से बरी हो गए थे।