नई दिल्ली। रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी ने ज़मानत के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में कैद अर्णब को अब सुप्रीम कोर्ट से ही आखिरी उम्मीद है। अर्णब ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अर्णब गोस्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने अर्णब को जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था। हाईकोर्ट में अर्णब गोस्वामी ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अंतरिम जमानत मांगी थी। कोर्ट ने शनिवार को कहा था कि इस मामले के लंबित रहने तक याचिकाकर्ताओं पर नियमित जमानत के लिए संबंधित निचली अदालत में जाने पर रोक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट मेरी मदद करे - अर्णब

बता दें कि इसके पहले रिपब्लिक टीवी ने अर्णब का एक वीडियो शेयर किया था जिसमें वह कह रहे थे कि मेरी जिंदगी खतरे में है और मुझे वकीलों से बात करने नहीं दिया जा रहा है। अर्णब ने अपने साथ मारपीट किए जाने और घसीटे जाने का आरोप भी लगाया था। वीडियो में अर्णब ने कहा था कि प्लीज देश के लोगों को बताइए कि मेरी जिंदगी खतरे में है। मैं चाहता हूं सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल दे। मैं चाहता हूं सुप्रीम कोर्ट मेरी मदद करे।' इससे पहले अर्णब ने गिरफ्तारी के दौरान भी पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया था, लेकिन निचली अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उन आरोपों को खारिज़ कर दिया था।

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क्या है पूरा मामला

साल 2018 में 53 साल के इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक और उनकी मां कुमुद नाईक ने आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया था, जो कथित रूप से अन्वय ने लिखा था। इस सुसाइड नोट में लिखा था कि अर्णब गोस्वामी और दो अन्य लोगों ने उनके 5 करोड़ 40 लाख रुपए हड़प लिए हैं, जिसकी वजह से आर्थिक तंगी का सामना करते हुए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ रहा है। इसी मामले में बीते 4 नवंबर को मुंबई पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। इसके बाद निचली अदालत ने उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा है।