समस्तीपुर/पटना। बिहार चुनाव में बीजेपी जेडीयू का गठबंधन और एलजेपी के अपने रास्ते अलग करने के बाद एनडीए के अंदर आंतरिक फूट रह रह कर उजागर हो रही है। स्थानीय स्तर पर नेताओं की नाराज़गी इतनी बढ़ चुकी है कि वे अब खुल कर अपनी ही पार्टी के गठबंधन के विरुद्ध हो चले हैं। बीजेपी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से अपने चार नेताओं पर कार्रवाई की है। बीजेपी ने समस्तीपुर में अपने चार नेताओं को 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।  

नेता नहीं कर रहे गठबंधन धर्म का पालन 
बीजेपी ने दो नेताओं को गठबंधन के विरुद्ध चुनावी मैदान में उतरने की वजह से निष्कासित किया है। तो वहीं दो अन्य नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। कर्नल राजीव रंजन इस दफा समस्तीपुर से बीजेपी के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन गठबंधन की राजनीति की वजह से यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई। लिहाज़ा समस्तीपुर से अपना टिकट कटने पर राजीव रंजन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। राजीव रंजन के अलावा बीजेपी के एक और नेता वारिसनगर से सुंदेरेश्वर राम एलजेपी से चुनावी मैदान में उतरे हैं।  

इन दो नेताओं के अलावा बीजेपी के अजय कुमार झा और विश्वनाथ चौधरी पर भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और गठबंधन के विरुद्ध प्रचार करने  का आरोप है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के आदेश पर बीजेपी के समस्तीपुर जिलाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने चारों नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। हालांकि स्थानीय खबरों की मानें तो आने वाले दिनों में क्षेत्र में बीजेपी के कुछ अन्य नेताओं पर जल्द ही गाज गिर सकती है। 

 इससे पहले बीजेपी अपने 9 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर चुकी है। सभी नेता टिकट न मिलने की वजह से एलजेपी में शामिल हो गए थे।  जिसमें पार्टी के कद्दावर नेता राजेंद्र सिंह और रामेश्वर चौरसिया शामिल हैं। राजेंद्र सिंह दिनारा विधानसभा सीट से एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि रामेश्वर चौरसिया सासाराम से चुनाव लड़ रहे हैं। उस समय बीजेपी ने अपने बागी उम्मीदवारों को पहले ही चेतावनी दी थी कि वे 12 अक्टूबर तक अपना नामांकन वापस ले लें। इसके बाद अरवल से निर्दलीय प्रत्याशी बने पूर्व विधायक चितरंजन ने नामांकन वापस ले लिया था, लेकिन बाकी उम्मीदवार चुनाव मैदान में डटे रहे। पार्टी के अंदर बगावती रुख को दबा पाने में नाकाम बीजेपी को मजबूरन अपने नेताओं को पार्टी से निष्कासित करना पड़ रहा है।