नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अमित शाह से मिलने पहुँँच गए हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह और अमित शाह की एक साथ की तस्वीर सोशल मीडिया पर तैर रही है। जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने दोनों हाथों से अमित शाह का हाथ थामे दिख रहे हैं। हांलाकि दोनों नेताओं की यह तस्वीर पुरानी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह इस समय अमित शाह के आवास में बैठक कर रहे हैं। कैप्टन और अमित शाह की मुलाकात की खबर लगते ही सियासी अटकलें तेज़ हो गई हैं।  

कैप्टन अमरिंदर सिंह कल ही पंजाब से दिल्ली पहुँचे थे। कैप्टन ने दिल्ली पहुँचते ही मीडिया से कहा था कि वे किसी राजनेता से मिलने के लिए दिल्ली नहीं आए हैं। लेकिन अब सीधे अमित शाह से मुलाकात करने पहुँच गए हैं। 

मीडिया में कैप्टन को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है कि अमरिंदर सिंह जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। अमित शाह से उनके घर पर हुई इस मुलाकात को इसी लिहाज़ से देखा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी कैप्टन अमरिंदर सिंह को कृषि मंत्री बना सकती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन को माना जा रहा है। 

अगर बीजेपी कैप्टन अमरिंदर सिंह को कृषि मंत्री का पद ऑफर करती है और खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह पद स्वीकार लेते हैं तो ऐसे में अब तक कृषि कानूनों के विरोध में खड़े नज़र आने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह आंदोलनरत किसानों का सामना कैसे करेंगे यह भी एक बड़ा सवाल है। 

अमरिंदर सिंह को हाल ही में कांग्रेस पार्टी के भीतर पनपे विरोध के चलते मुख्यमंत्री पद की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था। इसके बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने पत्ते नहीं खोल रहे थे। अब तक कैप्टन यही कह रहे थे कि वे आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं। मंगलवार को उनके दिल्ली दौरे से पहले जब अमित शाह के साथ मुलाकात करने के कयास लगाए जाने लगे, तब खुद कैप्टन ने इन दावों का खंडन कर दिया। लेकिन ठीक 24 घंटे के भीतर कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद अपने खंडन का खंडन करते हुए अमित शाह के घर में दाखिल हो गए।

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का व्यापक विरोध देखते हुए अकाली दल ने बीजेपी से अपना नाता इसलिए तोड़ लिया था क्योंकि अकाली दल को पंजाब में बीजेपी के साथ जाने पर अपना संभावित नुकसान दिख रहा था। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अगर बीजेपी के कुनबे में शामिल होते हैं, तो ऐसी परिस्थिति में खुद कैप्टन और बीजेपी को एक दूसरे का कितना फायदा होगा यह भी एक बड़ा सवाल है।

पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भले ही कांग्रेस में घमासान मच रहा हो लेकिन पंजाब के चुनावी रण में इस समय बीजेपी कांग्रेस के मुकाबले काफी पीछे है। दूसरी तरफ अकाली दल के साथ छोड़ने के बाद से ही बीजेपी के पास न तो पंजाब में कोई बड़ा चेहरा है और न ही पंजाब में संगठनात्मक तौर पर बीजेपी उतनी मज़बूत है। यही वजह है कि बीजेपी कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे चेहरे को अपने कुनबे में शामिल करना चाहती है। लेकिन बीजेपी कैप्टन के चेहरे को चुनावों में भुना पाएगी, इसकी उम्मीद भी कम ही है।