केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स फंड का उस याचिका के खिलाफ बचाव किया है जिसमें पीएम केयर्स फंड का पैसा राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष में ट्रांसफर किए जाने की मांग की गई है। इस याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष, पीएम केयर्स फंड के गठन को नहीं रोकता है और पीएम केयर्स फंड भी स्वैच्छिक दान लेता है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि एक कोष से दूसरे कोष में पैसा ट्रांसफर करने की मांग करने वाली याचिका ना तो अनुच्छेद 32 और ना ही डीएम एक्ट, 2005 के तहत जायज है।
इससे पहले 17 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर याचिका में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें वकील प्रशांत भूषण कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब हलफनामा दायर करने के लिए कहा था।
वहीं सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र को डीएम एक्ट के अनुसार कोविड-19 को शामिल करने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार करनी चाहिए और राहत के लिए एक्ट के तहत न्यूनतम मानकों को लागू करना चाहिए।
याचिका में कहा गया कि पीएम केयर फंड की सभी रसीदें जो सीएजी द्वारा ऑडिट नहीं की जा रही हैं और यहां तक कि बुनियादी जानकारी का खुलासा नहीं किया जा रहा है, उन सभी को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष में स्थानांतरित किया जाए और डीएमआर के अनुसार एनडीआरएफ से उपयोग किया जाए।