जयपुर/दिल्ली। सोमवार को दिनभर चले घटनाक्रम के बाद राजस्थान के राजनीतिक संकट का पटाक्षेप हो गया। सचिन पायलट वापस कांग्रेस में वापस आ गए और उनके साथ गए बाग़ी विधायकों की भी कांग्रेस के आला नेताओं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाक़ात हो गई। सोमवार को गांधी परिवार के तीनों सदस्यों, राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद सचिन पायलट की वापसी सुनिश्चित हो गई है। अब सचिन यही कह रहे हैं कि वो कभी बीजेपी के करीब गए ही नहीं। लेकिन कांग्रेस के साथ सभी कड़वाहटें भुलाने को वो तैयार हो गए हैं।

कोऑर्डिनेशन कमेटी
कांग्रेस ने इस बाबत एक प्रेस नोट भी देर शाम रिलीज़ किया है। जिसके मुताबिक सचिन पायलट और उनके साथ गए विधायकों की शिकायतों के निपटारे के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी सबसे विचार विमर्श कर समाधान निकालने की कोशिश करेगी। सचिन पायलट ने देर शाम मीडिया से बातचीत में इस पहल का स्वागत किया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह कमेटी उनकी आपत्तियों का निबटारा करेगी।

सचिन का भविष्य
सचिन पायलट ने कहा कि वो सम्मान के साथ सिद्धात की राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने राजस्थान में सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई है। और उनके गिले शिकवे दूर होने चाहिए। लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब सचिन राजस्थान की राजनीति से दूर रहेंगे। उनके समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी लेकिन सचिन ख़ुद कोई पद नहीं लेंगे। हालाँकि उनके पार्टी से बग़ावत के दौरान ही कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था और मुख्यमंत्री की तरफ़ से भी उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का पत्र राज्यपाल को सौंपा जा चुका है। खबरें हैं कि सचिन पायलट को केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।  

विधानसभा सत्र 
अब सबकी निगाहें 14 अगस्त से शुरू हो रहे विधान सभा सत्र पर हैं। लंबे जद्दोजहद के बाद राज्यपाल ने मंत्रिमंडल की सत्र बुलाने की सिफ़ारिश को स्वीकार किया था। इस बीच बीएसपी विधायकों पर भी कांग्रेस ने अपना रुख़ साफ़ किया है। कोर्ट में दिए हलफ़नामे में कांग्रेस ने कहा है कि बसपा के चुनाव चिन्ह पर जीते विधायक अब कांग्रेस के हैं। इस संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट में पक्षकार बनने के लिए पेश किए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय की मंज़ूरी विधानसभा अध्यक्ष ने दे दी है। ऐसे में अब विधानसभा में बसपा के चुनाव चिन्ह पर जीतने वाले विधायक कांग्रेस के हो चुके हैं। 
इस घटनाक्रम में वसुंधरा राजे की भूमिका को भी अहम माना जा रहा है जिन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ केंद्रीय नेतृत्व की बात मानने से इनकार कर दिया था। वसुंधरा राजे, सचिन पायलट गुट के साथ मिलकर बीजेपी सरकार बनवाने के पक्ष में नहीं रहीं।